पानी पीने के एक नहीं बल्कि अनेक फायदे हैं। आपके शरीर को डिटॉक्सीफाई करने के अलावा यह आपकी त्वचा को भी क्लीन करता है। इसके अलावा पानी पीने से शरीर निरोगी बनता है। पानी पीना वैसे तो सभी के लिए जरूर है लेकिन गर्भवती महिलाओं द्वारा प्रैगनेंसी के दौरान पानी पीना एक वरदान की तरह काम करता है।
गर्भावस्था के दौरान शरीर में पानी की कमी से हो सकती यह समस्या-
दरअसल, गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में हो रहे बदलावों की जरुरतों को पूरा करने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए पर्याप्त पानी न पीने से शरीर में डिहाइड्रेशन की कमी हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में पानी की कमी से सिरदर्द, मिचली, मरोड़, हाथ-पैरों में सूजन (इडिमा) और चक्कर आने जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
तीसरी तिमाही में पर्याप्त पानी पीना बहुत जरूरी
तीसरी तिमाही में महिलाओं को पर्याप्त पानी पीना बहुत जरूर है। क्योंकि तब पानी की कमी से संकुचन शुरू हो सकते हैं और समय से पहले प्रसव का दर्द उठ सकता है। वहीं नियमित पानी पीने से मिचली, सीने में जलन और एसिडिटी और अपचता के लक्षणों में भी राहत मिलती है।
मूत्रमार्ग के संक्रमण से भी मिलती है राहत-
पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से मूत्रमार्ग के संक्रमण से भी बचाव होता है, जो गर्भावस्था के दौरान आम है। यदि आप पर्याप्त पानी पीती हैं, तो आपके मूत्र में पानी की अच्छी मात्रा बनी रहेगी, जिससे संक्रमण का जोखिम कम होगा।
गर्भावस्था के दौरान कितना पानी पीना चाहिए?
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को रोजाना करीब तीन लीटर यानि कि 8 से 12 गिलास पानी पीना चाहिए। एक साथ बहुत सारा पानी पीने की बजाय दिनभर थोड़ा-थोड़ा करके पानी पीएं। वहीं, गर्मियों के दौरान पसीना आने के कारण निकल जाने वाले द्रव्य की पूर्ति के लिए आपको और अधिक पानी पीने की आवश्यकता होगी।
शरीर में पानी की कमी को कैसे पहचानें?
-शरीर में पानी की कमी पता करने के लिए अपने मूत्र का रंग जांचे। यह हल्के पीले रंग का होना चाहिए। यदि यह गहरे रंग का है, तो आपको अधिक पानी पीने की आवश्यकता है।
-यदि आपको लगातार चक्कर आ रहे हो तो भी यह पानी की कमी का लक्षण हो सकती है।
- पानी पीने के बावजूद भी पेशाब कम आ रहा हो, तो अपनी डॉक्टर से बात करें। गर्भावस्था के ऐसे लक्षणों को अनदेखा न करें।
अगर गर्भावस्था के दौरान अधिक पानी पीने का मन ना हो तो...
अगर गर्भावस्था के दौरान अधिक पानी पीने का मन ना हो तो इसके लिए आप अन्य लीक्विड पदार्थ ले सकते हो जैसे कि नींबू पानी, पुदीने का पानी, यह आपके लिए एक अच्छा बदलाव हो सकता है. वहीं पानी में आप हरा धनिया, अदरक, सौंफ या इलायची डाल कर पी सकते हैं।
इसके अलावा आप नारियल पानी, नींबू पानी, घर पर बना जलजीरा, आम पन्ना या सत्तू और फलों की स्मूदी भी पी सकते हैं। ये पेय प्यास बुझाने के साथ-साथ पौष्टिक, सेहतमंद और ताजगी प्रदान करने वाले हैं।
दूध और डेयरी आधारित पेय- दूध से कैल्शियम, आयोडीन और विटामिन बी5 मिलता है, और ये सभी आपकी और गर्भस्थ शिशु की सेहत के लिए जरुरी हैं। आप लस्सी, छाछा और मिल्क शेक भी पी सकते हैं।
जानिए किन लिक्विड का सेवन गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए?
चाय और कॉफी- चाय या काफी का गर्भावस्था के दौरान ज्यादा कैफीन का सेवन न किया जाए तो बेहतर होगा। क्योंकि कैफीन मूत्रवर्धक होती है और इससे अधिक पेशाब आता है, इसलिए वास्तव में शरीर से पानी ज्यादा निकलता है और आपको बार-बार बाथरूम जाना पड़ता है। ध्यान रखें कि कैफीन ग्रीन टी में भी होता है।
फ्रूट स्क्वाश- स्क्वाश में उतने विटामिन और खनिज नहीं होते जितने की ताजा फलों में पाए जाते हैं। और इसमें शूगर की मात्हारा काफी अधिक होती हैं। ऐसे में आप सुनिश्चित करें कि आप इन्हें पर्याप्त पानी मिलाकर पिएं।
सोडा- सोडा में आपके और शिशु के लिए जरुरी पोषक तत्व नहीं है वहीं ये आपकी एसिडिटी और सीने में जलन की समस्या को और बढ़ा सकते हैं।
एनर्जी ड्रिंक्स- गर्भावस्था में एनर्जी ड्रिंक्स का सेवन न करें, क्योंकि इनमें आमतौर पर कैफीन का मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इजिनका सेवन गर्भावस्था में उचित नहीं है।
एल्कोहल- गर्भावस्था के दौरान आपको शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि उस दौरान इससे गर्भपात का खतरा ज्यादा रहता है।