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आखिर मां ना बन पाने का दोष मुझे ही क्यों?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 26 Jun, 2020 01:42 PM
आखिर मां ना बन पाने का दोष मुझे ही क्यों?

हमारे समाज में हर गलती के लिए औरत को दोषी ठहराने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। लड़की की शादी नहीं हो रही तो जरूर उसी में कोई दोष होगा। तलाक हो गया, जरूर लड़की की गलती होगी। यहां तक की अगर महिला मां नहीं बन पा रही है तो उसका दोष भी उसी के माथे मड़ दिया जाता है।

लड़की की शादी हुई नहीं कि हर कोई उससे 'अच्छी खबर' (प्रेग्नेंसी की खबर) की उम्मीद रखना शुरू कर देता है। नई नवेली दुल्हन को तो घर में कदम रखते ही जल्द बच्चा देने का फरमान जारी कर दिया जाता है औरअगर औरत मां ना बन पाए तो उसका दोष भी उसे ही दिया जाता है।

मां ना बन पाने पर महिलाएं दोषी क्यों?

अगर शादी के कुछ सालों तक भी कोई महिला मां नहीं बन पाई तो इसका सीधा मतलब निकाला जाता है कि उसमें कोई कमी है या वह मां बनने के काबिल नहीं है, फिर चाहे इसके लिए कमी पुरुष में ही क्यों ना हो। अगर लड़की गलती से ऐसा बोल दे कि उसके पति में कोई कमी है तो पूरा परिवार उसे मुजरिम की नजरों से देखने लग जाता है।

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क्यों सहती हैं महिलाएं?

यही नहीं, महिला को दोषी मानकर ससुराल वाले उसे तानें मारना शुरू कर देते हैं। यहां तक कि पड़ोंसी भी उसका पीछा नहीं छोड़ते। भारतीय लड़कियां भी सास के तानें चुपचाप बर्दाश कर लेती हैं। मानों गलती उसी की हो। दरअसल, महिलाएं कहीं ना कहीं इस बात को जानती है कि कोई सच को स्वीकार नहीं करेगा। शायद इसलिए वह सबकुछ चुपचाप सह लेती हैं।

परिवार की चिंता जायज लेकिन...

बच्चा ना हो पाने पर परिवार की चिंता जायज है लेकिन इसके लिए सिर्फ महिला को दोषी ठहराना बिल्कुल गलत होगा। इन्फर्टिलिटी एक ऐसी समस्या है जो महिला पुरुष दोनों को हो सकती है तो फिर बच्चा ना होने की जिम्मेदार सिर्फ महिला ही क्यों? अब जरूरत है ससुराल वालों को अपनी सोच बदलनें की। बहू हो या बेटा, अगर किसी में कोई कमी है तो ट्रीटमेंट करवाएं। बच्चा ना होने पर गोद लेना भी एक विकल्प हो सकता है। मगर, भारतीय समाज में अपना खून, अपनी औलाद जैसे शब्दों को तवज्जो दी जाती है। ऐसे में आप IVF जैसी तकनीक का सहारा ले सकते हैं।

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अंदर ही अंदर घुटती है महिलाएं

एक तरफ मां ना बन पाने का दुख तो दूसरी तरफ ससुराल वालों के तानें। महिलाएं कहीं ना कहीं इसके लिए खुद को जिम्मेदार मानकार अंदर ही अंदर घुटती रहती है। भले ही महिलाएं वह इस बारे में खुलकर कुछ ना कह पाती हो लेकिन आपकी कड़वी बातें उनके दिल में तीर की तरह चुभती हैं। वहीं कुछ महिलाएं तो इसके कारण डिप्रेशन की चपेट में भी आ जाती है। ऐसे में अगर आप उनका साथ नहीं दे सकते, उन्हें सही रास्ता या हौंसला नहीं दे सकते तो उन्हें तानें मार उनकी मुसीबतें भी ना बढ़ाएं।

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ऐसे में अब वक्त आ गया है कि आप औलाद ना होने पर महिलाओं को ताना मारना बंद करें क्योंकि बच्चा ना हो पाने का दुख पति-पत्नी से ज्यादा कोई नहीं जान सकता है। खासकर महिलाओं के ज्यादा, जिनके लिए यह एक वरदान है।

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