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माता का आर्शीवाद पाने के लिए नवरात्रों में करें इन मंदिरों के दर्शन

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 30 Mar, 2022 01:11 PM
माता का आर्शीवाद पाने के लिए नवरात्रों में करें इन मंदिरों के दर्शन

माता के भक्त दर्शन के लिए मंदिरों में जाते ही रहते हैं। लेकिन नवरात्रि के खास अवसर पर दूर-दूर से लोग माता के दर्शन करने के लिए जाते हैं। 2 अप्रैल से चैत्र मास के नवरात्रि प्रारंभ होने जा रहे हैं। इस खास अवसर पर भक्त मनचाही मनोकामनाएं पाने के लिए माता का आर्शीवाद लेने के लिए पहुंचते हैं। विधि विधान से पूजा करके माता का आर्शीवाद पाते हैं। ऐसे में अगर आप भी माता के दर्शन करने के लिए मंदिरों में जाना चाहते हैं। तो इन खास स्थलों के दर्शन जरुर करें।चलिए बताते हैं आपको इन धार्मिक स्थलों के बारे में...

वैष्णो देवी मंदिर 

माता वैष्णो देवी मंदिर तो भक्तों का लोकप्रिय पावन स्थल है। यह मंदिर जम्मू के कटरा में स्थित है। वैसे तो सारा साल इस मंदिर में मां के भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। लेकिन नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्त दूर-दूर से मां के दर्शन करने के लिए जाते हैं। मंदिर के पावन दर्शनों की शुरुआत भैरो मंदिर से होती है। ऐसी मान्यता है जब तक भैरो मंदिर के दर्शन न किए जाएं। तब तक वैष्णों मंदिर के दर्शन अधूरे ही माने जाते हैं। 

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नैना देवी मंदिर 

नैना देवी मंदिर हिमाचल के बिलासपुर जिले में स्थित है। नवरात्रि पर माता के दर्शन के लिए आप इस धार्मिक मंदिर के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में माता के दर्शन पाने से आंखों से जुड़ी समस्याएं हल हो जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती की मृत्यु के बाद उन्हें कैलाश पर्वत लेकर जा रहे थे तो उनकी एक आंख नैनीताल में गिर गई थी और माता के अंग जहां पर गिरे थे । वहां पर शक्तिपीठ की स्थापना की गई है। दुनियाभर से लोग इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं। 

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कामाख्या देवी मंदिर

गुवाहटी में नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित कामाख्या मंदिर सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। यहां पर नवरात्रि का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान शिव को सती के पिता राजा दक्ष ने हवन में स्वीकार नहीं किया थातो वह आग में कूद गई थी। भगवान शिव को जब इस बात का पता चला तो वह माता सती को लेकर तांडव करने लगे।देवताओं ने जब यह दृश्य देखा तो उन्होंने विष्णु जी से मदद मांगी। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता के अंगों को 108 टुकड़ों में काटा जो अलग - अलग देशों में जाकर गिरे। इस मंदिर में माता की योनि की पूजा की जाती है। क्योंकि यहां पर माता की योनि गिरी थी। 

मंगला गौरी मंदिर 

मंगला गौरी मंदिर बिहार के गया गांव की भस्मकूट पर्वत पर स्थित है। मान्यता है कि इस मंदिर में माता सती का अंग स्तन गिरे थे। जोकि बाद में पत्थर के रुप में बन गए थे। इस मंदिर में पूजा करने के लिए भक्तों को 100 सीड़ियां चढ़कर मां मंगला गौरी के दर्शन करने के लिए जाना पड़ता है। सच्चे मन से मां की पूजा अर्चना करने वालों की मां सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। 

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर 

यह मंदिर उदयपुर शहर से 3 किलोमीटर दूरी पर उमरई गांव में स्थित है। मान्यता है कि इस मंदिर में माता का दाहिना पैर गिरा था। जिसकी पूजा की जाती है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं।नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। 

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