हिमाचल प्रदेश की राजधानी और पहाड़ों की रानी शिमला में क्रिसमस को लेकर तैयारियां शुरु हो गई हैं। कोरोना काल के बाद इस बार शिमला में बड़े धूम-धाम से पहली बार क्रिसमस मनाया जाएगा। वहीं लोगों इस बार शिमला में व्हाइट क्रिसमस की उम्मीद है। पहाड़ों में इस बार नवबंर महीने में ही बर्फबारी का दौर शुरु हो गया है, ऐसे में इस बार व्हाइट क्रिसमस की आस जगी है। इस साल काफी तादाद में लोग ये बर्फवारी में क्रिसमस का आनंद लेने पहुंचेगे।
शिमला के चर्च के कॉल बेल की कराई मरम्मत
वहीं शिमला के ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च को क्रिसमस के लिए सजाया जा रहा है। साथ ही इंग्लैंड से लाई गई बेल की मरम्मत का काम भी पूरा हो चुका है। आपको बता दें कि क्रिएस्ट चर्च को जहां शिमला का माइल स्टोन माना जाता है, तो वहीं यहां पर प्रार्थना के लिए 150 साल पहले इंग्लैंड से लाई कॉल बेल का भी अपना महत्व है। इसे प्रार्थना से पहले बजाया जाता है।
आपको बता दें कि ये बेल कोई साधारण घंटी नहीं है बल्कि मैटल से बने पाइप के हिस्से हैं। इन पाइप पर संगीत के सात सुर की ध्वनि आती है। इन पाइप पर हथौड़े से आवाज होती है, जिसे रस्सी खींचकर बजाया जाता है। यह रस्सी मशीन से नहीं, बल्कि हाथ से खींचकर बजाई जाती है। हर साल रविवार सुबह 11 बजे होने वाली प्रार्थन से पांच मिनट पहले ये बेल बजाई जाती है। वहीं क्रिसमस और न्यू ईयर के मौके पर रात 12 बजे इस बेल को बजाकर जश्न मनाया जाता है।
गौरतलब है कि 9 सितंबर 1844 में इस चर्च की नींव कोलकाता के बिशप डेनियल विल्सन ने रखी थी। 1857 में इसका काम पूरा हो गया। स्थापना के 25 साल बाद इंग्लैंड से इस बेल को शिमला लाया गया था। 1982 में यह बेल खराब हो गई थी। जिसे 40 साल बाद अब दोबारा ठीक करवाया गया है।
वहीं चर्च के पादरी सोहन लाल का कहना है कि क्रिसमस को लेकर चर्च प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली हैं और साथ ही जश्न के दौरान सुरक्षा व्यवस्ठा के प्रबंध के लिए पत्र भी लिखा गया है।