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राज्यसभा में सुधा मूर्ति ने उठाया सर्वाइकल कैंसर का मुद्दा, जानें क्या है इसके लक्षण

  • Edited By Manpreet Kaur,
  • Updated: 07 Jul, 2024 05:08 PM
राज्यसभा में सुधा मूर्ति ने उठाया सर्वाइकल कैंसर का मुद्दा, जानें क्या है इसके लक्षण

नारी डेस्क: इन्फोसिस फाउंडेशन की पूर्व चेयरपर्सन सुधा मूर्ति ने हाल ही में राज्यसभा में महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से सतर्क रहने और बचाव के टीकाकरण अभियान चलाने की मांग की है। दरअसल, दिन पर दिन भारत में बढ़ते सर्वाइकल कैंसर के मामलों को देखते हुए उन्होंने इस मुद्दे पर जोर दिया। सोशल मीडिया पर सुधा मूर्ति का ये भाषण बड़ी तेजी वायरल हो रहा है। 

सुधा मूर्ति ने अपने भाषण में क्या कहा?

उन्होंने कहा कि महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे बचाव के लिए किशोरावस्था में इसके टीके लगाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी सामाजिक व्यवस्था ऐसी है जिसमें महिलाएं अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पातीं। जब वे अस्पताल पहुंचती हैं तो उनमें सर्वाइकल कैंसर तीसरे या चौथे स्टेज पर होता है। उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है। उनके पिता कहते थे कि महिलाएं परिवार का केंद्र होती हैं।

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महिला के निधन के बाद पति को तो दूसरी पत्नी मिल जाती है, लेकिन बच्चों को दूसरी मां नहीं मिलती। सुधा मूर्ति कहती हैं कि कोविड महामारी के दौरान कोरोना से बचने के लिए टीकाकरण का अभियान चलाया गया तो महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए अभियान क्यों नहीं चलाया गया। अगर सरकार यह अभियान शुरू करती है तो यह महंगा भी नहीं पड़ेगा। 

ये हैं सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

शुरुआती लक्षणों में महिलाओं के पीरियड्स में गड़बड़ी होती है। इसके बाद महिलाओं के मेनोपॉज और वजाइनल ब्लीडिंग होती है। इन सब के अलावा वजाइनल डिस्चार्ज की शिकायत भी होती है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि इसके थर्ड स्टेज में पहुंचने पर 100 में से 50 महिलाएं ठीक हो जाती है लेकिन अगर इस अंग से कैंसर दूसरे अंग में पहुंच जाए तो फिर बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसलिए समय रहते इसके इलाज बेहद जरूरी है। 

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कब समझें खतरे को

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण बहुत सामान्य होते हैं जैसे- पीरियड्स में अनियमितता, पीरियड्स में ज्यादा खून, शारीरिक संबंध के बाद खून निकलना, थकान और सुस्ती आदि। सामान्य स्थिति में दवाएं लेने के बाद तीन-चार दिनों में ऐसी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। अगर ऐसी कोशिशों के बाद भी दो सप्ताह तक स्थिति में कोई बदलाव न आए तो बिना देर किए स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है।

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