कोरोना संक्रमित मरीजों को ठीक करने के लिए कई देशों में दवाओं के साथ प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्लाज्मा डोनेट करने के लिए महिलाएं और पुरुष आगे भी आ रहे हैं। हालांकि प्रेग्नेंट महिलाओं को प्लाज्मा डोनेट करने की मनाही की गई इसलिए गर्भवती महिलाएं इसमें हिस्सा नहीं ले सकती। इसके अलावा नई मांएं भी प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकती। चलिए आपको बताते हैं इसका कारण...
प्रेगनेंट महिलाएं क्यों नहीं कर सकती प्लाज्मा डोनेट
प्रेगनेंट व नई मांएं इसलिए प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकती क्योंकि उनके शरीर में ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजीन्स (एचएलए) एंटीबॉडीज विकसित हो जाती है। यह कई दुर्लभ मामलों में टीआरएएलआई रिएक्शन कर सकता है, जो कोरोना मरीजों के लिए सही नहीं है। टीआरएएलआई के कारण सांस लेने में दिक्कत, बुखार और लो ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
कौन दान कर सकता है प्लाज्मा?
. कोरोना संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो चुके 18-60 के लोग प्लाज्मा दान कर सकते हैं।
. जिन लोगों का वजन 50 kg से कम हो वह भी प्लाज्मा नहीं दे सकते।
. इसके अलावा कैंसर और गुर्दे, दिल, फेफड़े या लिवर की समस्याओं से जूझ रहे लोग भी प्लाज्मा नहीं दे सकते।
क्या है प्लाज्मा थेरेपी?
इस थेरेपी में कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के खून में से प्लाज्मा निकाला जाता है। फिर इसे संक्रमित मरीज को चढ़ाया जाता है, जिससे उनके शरीर में एंटीबॉडीज बनती है और उनके शरीर को वायरस से लड़ने की मदद मिलती है।
क्या सच में कारगर है प्लाज्मा थेरेपी?
फिलहाल प्लाज्मा थेरेपी पर शोध किए जा रहे हैं इसलिए इस बात के पक्के सबूत नहीं है कि यह थेरेपी सही तरीके से काम करती है या नहीं। हालांकि भारत में कुछ कोरोना मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी अजमाई गई है, जिसके रिजल्ट काफी अच्छे मिले। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भी प्लाज्मा की परमिशन दे दी है।
क्या प्लाज्मा देने से होगा कोई नुकसान?
बता दें कि प्लाज्मा दान करने से डोनेटर को कोई नुकसान नहीं होता। इसमें व्यक्ति के शरीर में से पहले खून निकाला जाता है और फिर उसमें से प्लाज्मा अलग किया जाता है। इसके बाद खून को वापिस व्यक्ति के शरीर में डाल दिया जाता है। एक हफ्ते तक शरीर दोबारा प्लाज्मा बना लेता है और आप चाहे तो उसे डोनेट भी कर सकते हैं। इससे कोई शारीरिक कमजोरी नहीं आती।