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Shardiya Navratri: 'डोली' पर सवार होकर आएंगी मां और हाथी पर लेंगी विदा, दोनों ही अशुभ संकेत

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 07 Oct, 2021 09:53 AM
Shardiya Navratri: 'डोली' पर सवार होकर आएंगी मां और हाथी पर लेंगी विदा, दोनों ही अशुभ संकेत

नौ दिन चलने वाला शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 7 अक्टूबर गुरुवार से प्रारंभ होगा और 15 अक्टूबर तक चलेगा। इन 9 दिनों में देवी के अलग-अलग स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि मां की पूजा की जाती है। हिन्दू शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा नवरात्रों में हर बार अलग-अलग वाहनों में सवार पधारती हैं। यही नहीं, मां शक्ति की विदाई के लिए भी वाहन अलग-अलग होता है।

चलिए आपको बाताते हैं कि आस बार मां भगवती किस वाहन पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगी उनकी विदाई किस वाहन पर होगी।

इस बार 'डोली' पर सवार होकर आएंगी मां

हिंदू शास्त्रों के मुताबिक, मां दुर्गा का वाहन सिंह है लेकिन नवरात्रि के दिनों में वह अलग-अग वाहन पर सवार होकर आती हैं। देवीभाग्वत पुराण में नवरात्रि में माता रानी की सवारी का खास महत्व बताया गया है, जो पर्व के प्रथम दिन से ज्ञात की जाती है। इस बार शरद नवरात्रि गुरुवार से आरंभ होगी यानि माता 'डोली' पर सवार होकर पधारेंगी वहीं मां शुक्रवार को हाथी पर गमन यानि वापिसी करेंगी।

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हर बार अलग-अलग सवारी पर आती हैं मां

माता की सवारी के बारे में देवीभाग्वत पुराण में बताया गया है... शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च डोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता। गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे। नौकायां सर्वसिद्धि स्यात डोलायां मरण ध्रुवम्।

इसका अर्थ है कि अगर नवरात्रि की शुरुआत सोमवार या रविवार को हो तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी। अगर नवरात्रि का प्रारंभ शनिवार और मंगलवार से हो तो मां अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। वहीं, नवरात्रि गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि से आरंभ हो माता रानी डोली पर सवार होकर आती हैं।

क्या है मां दुर्गा के वाहनों का महत्व?

मां दुर्गा के हर वाहन का एक खास महत्व है। दरअसल, ज्योतिषशास्त्र और देवीभागवत पुराण के मुताबिक, मां दुर्गा का वाहन भविष्य की घटनाओं का संकेत देता है। जबकि बुधवार के दिन नवरात्रि शुरू होने पर मां नांव पर सवार होकर आगमन करती हैं।

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क्या संकेत देता है मां का डोली में आना

डोली में माता का आगमन दुनियाभर के लिए अशुभ संकेत माना जा रहा है। मां का डोली में आना भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का संकेत देता है। वहीं, इससे राजनीति में भी उथल-पुथल हो सकती है और कई दिग्गज नेताओं की सत्ता जा सकती है। ऐसा भी माना जाता है कि भविष्य में किसी रोग का प्रकोप बढ़ सकता है।

चैत्र नवरात्रि में घोड़ पर सवार हो आईं थी माता रानी

बता दें कि साल 2021 चैत्र नवरात्रि में मां घोड़े पर सवार होकर भक्तों के घर पर आईं हैं और दशवीं के दिन मां ने भगवती नर वाहन पर सवार होकर प्रस्थान किया था। देवीभाग्वत पुराण के अनुसार, मां का घोड़े पर सवार होकर आने को अशुभ संकेत के तौर पर देखा जाता है। मां दुर्गा की घोड़े की सवारी पड़ोसी देशों से युद्ध, छत्र भंग, आंधी-तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएं, गृह युद्ध और सत्ता में उथल-पुथल के संकेत भी देता है।

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वाहनों का होता है शुभ-अशुभ असर

मां के कुछ वाहन शुभ फल तो कुछ अशुभ फल देने वाले होते हैं

. देवी जब हाथी पर सवार होकर आती है तो पानी ज्यादा बरसता है.
. घोड़े पर आती हैं तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है
. अगर मां नौका पर आगमन करती हैं तो भक्तों की सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं
. मां डोली पर आती हैं तो महामारी का भय बना रहता हैं

मां के जाने का वाहन भी होता है निश्चित

जिस दिन नवरात्र का अंतिम दिन होता है उसी के अनुसार देवी का गमन वाहन भी तय होता है। देवी भागवत पुराण के एक श्लोक में इसका भी वर्णन किया गया है... 

शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा। शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।। बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा। सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥

. रविवार या सोमवार को देवी भैंसे की सवारी से जाती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है।
. मां शनिवार या मंगलवार को मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं, जिससे दुख और कष्ट की वृद्धि होती है
. बुधवार या शुक्रवार को देवी हाथी की सवारी पर जाती है, जिससे बारिश ज्यादा होने की आशंका रहती है।
. वहीं, अगर मां गुरुवार को मनुष्य की सवारी से गमन करती है, जो सुख और शांति की वृद्धि का संकेत होता है।

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क्या करें?

ऐसे में रोग, परेशानियों से मुक्ति के लिए नवरात्रि में श्रद्धा-भाव से मा मां की अराधना करें। साथ ही नियमित कवच, कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करके यथा संभव – रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् । त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।। मंत्र का जाप करें।

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