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अब मां के दूध से होगा कोरोना का इलाज, मरीजों के लिए बन रही खास आइस क्यूब

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 26 Aug, 2020 03:03 PM
अब मां के दूध से होगा कोरोना का इलाज, मरीजों के लिए बन रही खास आइस क्यूब

कोरोना महामारी से निपटनें के लिए वैक्सीन बनाने की कोशिशें लगातार चल रही हैं। इसी बीच देश में नए-नए दवाएं और शोध सामने आ रहे हैं, जो कोरोना वायरस की रोकथाम पर कभी तसल्ली तो कभी घबराहट दे जाते हैं। वहीं, कोरोना इलाज को लेकर अब एक नया शोध सामने आया है, जिसके मुताबिक अब इलाज के लिए कोई दवा नहीं बल्कि मां का दूध यानि ब्रेस्ट मिल्क इस्तेमाल किया जाएगा।

अब ब्रेस्ट मिल्क से होगा कोरोना का इलाज

रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिक कोरोना मरीजों का इलाज करने के लिए ब्रेस्टमिल्क का सहारा लेने की सोच रहे हैं। दरअसल, कोरोना से ठीक हो चुकी 30 महिलाओं के दूध में ऐसी एंटीबॉडी पाए गए जो वायरस से लड़ने में काफी कारगार है। ऐसे में वैज्ञानिक अब इसे इलाज के तौर पर इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं।

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मरीजों के लिए बन रहे दूध के आइस क्यूब

वैज्ञानिक मां के दूध का इस्तेमाल प्लाज्मा थेरेपी करेंगे, ताकि पॉजिटिव मरीजों की इम्युनिटी बढ़ाकर उनकी जान बचाई जा सके। इसके लिए शोधकर्ता संक्रमित मां के दूध से खास आइस क्यूब बना रहे हैं, जो मरीजों को चूसने के लिए दिए जाएंगे।

कैसे काम करेगी ब्रेस्टमिल्क आइस क्यूब

शोधकर्ताओं का कहना है कि मरीजों के शरीर में मौजूद म्यूकस मेंबरेंस में एंटीबॉडी आइस क्यूब चूसने से पहुंच जाएगी। म्यूकस मेंबरेंस शरीर के जरूरी अंग व श्वसन प्रणाली को बैक्टीरियल व वायरस इंफैक्शन के खतरे से बचाते हैं। ऐसे में एंटीबॉडी प्रोटीन मिलने से शरीर को इनसे लड़ने में भी मदद मिलेगी।

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किन लोगों को होगा अधिक फायदा

शोधकर्ताओं का कहना है कि बुजुर्ग कोरोना मरीजों को इन क्यूब्स से ज्यादा फायदा होगा क्योंकि वह घर में रहकर कोरोना का इलाज करवा रहे हैं। साथ ही कोरोना के गंभीर लक्षणों से जूझ रहे मरीजों को भी इससे फायदा मिल सकता है।

30 महिलाओं के शरीर से ली जा रही एंटीबॉडी

शोध के मुताबिक, कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुकी 30 महिलाओं के दूध में एंटीबॉडी पाई गई, जिसे इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

5 हजार महिलाएं दूध दान करेंगी

वैज्ञानिकों ने कोरोना पॉजिटिव से स्वस्थ हो चुकी नई माओं से दूध दान करने की अपील की है। हर मां 100-100 मि.ग्रा. दूध दान कर सकती है, जिससे जच्चा-बच्चा की सेहत को भी कोई नुकसान नहीं होगा। हालांकि 5 हजार महिलाएं इस काम के लिए आगे भी आई हैं।

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