फर्टिलिटी यानि प्रजनन क्षमता पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकती है। आंकड़े बताते हैं कि बांझपन के कुल मामलों में से लगभग 40-50% पुरुषों के होते हैं। किसी न किसी तरह की समस्या के कारण पुरुष भी पिता बनने के सुख से वंचित रह जाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि जब कोई दंपत्ति गर्भधारण करने की कोशिश करता है तो सिर्फ 45% जोड़े ही डॉक्टर के पास जाते हैं। वहीं, इनमें से सिर्फ 1% ही बांझपन के इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं।
पुरुषों में बांझपन के कारण
आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 15% जोड़े बांझपन से पीड़ित हैं। वहीं, पुरुषों में बांझपन की समस्या के पीछे शारीरिक और मानसिक समेत कई कारण होते हैं। ये कारक पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता को कम करते हैं। पुरुषों में बांझपन के कई कारण हो सकते हैं...
. जागरूकता की कमी
. शारीरिक गतिविधि की कमी
. खाने की गलत आदतें
. शराब और धूम्रपान का अत्यधिक सेवन
कोरोना के कारण भी पड़ता है फर्टिलिटी पर असर
कुछ अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि कोरोना वायरस महामारी शुक्राणु कोशिकाओं को नष्ट कर देती है, जिसके परिणामस्वरूप सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव होता है। कोविड से पीड़ित लोगों को अपनी प्रजनन क्षमता का परीक्षण करवाना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि कोरोना वायरस आदमी के अंडकोष को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे उनमें कहीं न कहीं बांझपन हो सकता है।
जांच है सबसे जरूरी
पुरुष बांझपन का इलाज करने से पहले, डॉक्टर आपका पूरा चिकित्सा इतिहास जानता है, जिसके आधार पर आपको उपचार की सलाह दी जाती है। किसी भी सर्जरी से पहले शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्राकृतिक तरीकों की सिफारिश की जाती है। यह देखने के लिए भी परीक्षण किए जाते हैं कि पिट्यूटरी ग्रंथि, हाइपोथैलेमस और अंडकोष में हार्मोन नियंत्रण में हैं या नहीं।
क्यों कम हो जाती है शुक्राणु की गुणवत्ता?
एजूस्पर्मिया, हाइपोगोनैडोट्रोपिक हाइपोगोनाडिज्म, नपुंसकता या स्तंभन दोष वाले पुरुषों में हार्मोन के स्तर की जांच के लिए रक्त के नमूनों की सिफारिश की जाती है। वैरिकोसेले पुरुषों में बांझपन का सबसे आम कारण है। इससे पुरुषों के अंडकोष में नसें सूज जाती हैं, जिससे शुक्राणु की गुणवत्ता कम हो जाती है। इसका इलाज केवल सर्जरी से किया जाता है।
स्वस्थ शुक्राणुओं की संख्या बनाए रखने के लिए टिप्स
अगर पुरुषों में इनफर्टिलिटी की बात करें तो इसके पीछे कई कारण हैं, जिनसे बचा जा सकता है।
. पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें और बाहर के अनहैल्दी भोजन से जितना हो सके परहेज करें।
. स्टेरॉयड का प्रयोग न करें क्योंकि इससे भी शुक्राणुओं की संख्या पर काफी असर पड़ता है।
. तनाव और चिंता से जितना हो सके बचें।
. अगर आप कोरोना संक्रमित है या रह चुके हैं तो फैमिली प्लानिंग से पहले एक बार इनफर्टिलिटी टेस्ट जरूर करवाएं।