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बेटी पढ़ाओं अभियानः बच्चियों का भविष्य संवार रही निशिता, अब तक हजारों की भर चुकीं है फीस

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 05 Feb, 2021 04:21 PM
बेटी पढ़ाओं अभियानः बच्चियों का भविष्य संवार रही निशिता, अब तक हजारों की भर चुकीं है फीस

महिला सशक्तिकरण लक्ष्य को सही मायने में हासिल करने के लिए बच्चियों की शिक्षा ही एकमात्र रास्ता है। बावजूद इसके समाज का एक बड़ा हिस्सा बच्चियों की शिक्षा को महत्व नहीं देता है। तो वहीं, कुछ लड़कियां गरीबी और पैसों की कमी के चलते शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाती। ऐसी ही लड़कियों की मदद के लिए आगे आई गुजरात की रहने वाली निशिता राजपूत, जिसने लड़कियों ना सिर्फ लड़कियों की शिक्षा के महत्व को समझा बल्कि उन्हें पढ़ाने का जिम्मा भी उठाया।

पिता के नक्शे कदम पर निशिता

गुजरात, वडोदरा की रहने वाली नितिशा ने पिता गुलाब राजपूत के नक्शे-कदम पर चलते हुए खुद के खर्चे पर करीब 30 हजार लड़कियों को पढ़ाया। निशिता के पिता गुलाब सिंह भी समाज-सेवा के काम करते हैं। उन्होंने अब तक कई गरीब और आर्थिक रूप से तंग लोगों की मदद की है। उन्होंने से प्रेरित होकर निशिता में बेटियों के लिए कुछ करने का जज्बा जागा।

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इस साल 10 हजार लड़कियों को पढ़ाने का टारगेट

वह पिछले 10 सालों से करीब 30 हजार बच्चियों की शिक्षा का जिम्मा उठा चुकी हैं। उन्होंने बच्चियों की शिक्षा पर अब तक करीब 3.25 करोड़ रुपए की फीस भर चुकी हैं और इस साल उन्होंने 10 हजार बच्चियों को शिक्षित करने का टारगेट रखती हैं।

12 साल से कर रही लड़कियों को शिक्षित

28 वर्षीय निशिता 12 साल की उम्र से लड़कियों की शिक्षा पर काम कर रही हैं। आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से वंचित रह रही लड़कियों के लिए उन्होंने डोनेटर से संपर्क किया और उनसे मिलने वाले पैसों से लड़कियों की फीस भरी। सिर्फ फीस ही नहीं बल्कि वह बच्चियों को स्कूल बैग, कॉपी-किताबें देकर भी उनकी मदद करती है, ताकि उनकी पढ़ाई में कोई बाधा ना आए। साथ ही वह त्योहारों पर भी उनके लिए कपड़े और गिफ्ट्स ले जाती हैं।

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बुजुर्गों को देती हैं टिफिन सेवा

शिक्षा के अलावा नितिशा बुजुर्गों को टिफिन की सुविधा देती हैं, जिनके जरिए वो महिलाएं को रोजगार भी दे रही हैं। वह सगी बेटी की तरह अकेले रह रहे बुजुर्ग लोगों को टिफिन देने के अलावा दवाई और कपड़ों का भी खर्च उठाती हैं।

महिलाओं को दिलवाया मेडिकल स्टोर में डिस्काउंट

टिफिन पहुंचाने का काम महिलाएं करती हैं, ताकि उन्हें भी रोजगार मिल जाए।  इतना ही नहीं, उनके कारण जरूरतमंद व गरीब महिलाओं को मेडिकल स्टोर में 10% और लैब में 10-15% तक डिस्काउंट मिलता है क्योंकि उन्होंने शहर के 120 मेडिकल स्टोर व 30 लैब में डिस्काउंट भी शुरू करवाया।

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कई संस्थाओं ने बढ़ाया मदद का हाथ

नितिशा के 'बेटी पढ़ाओ अभियान' में कई संस्थाएं और बड़ी-बड़ी हस्तियां भी उनके साथ जुड़ी और मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया। यहां तक कि अमेरिका के विभिन्न संगठनों ने भी नितिशा की मदद कर बच्चियों की शिक्षा में योगदान दिया। बता दें कि निशिता चेक के जरिए मदद लेती हैं और फीस भरने के लिए उन्हें सीधे स्कूल भिजवा देती हैं।

21 बच्चियों के नाम करवाई एफडी

यहां तक कि उन्होंने अपनी शादी के लिए जमा किए हुए पैसे भी बच्चियों के भविष्य पर खर्च कर दिए। उन्होंने 21 छात्राओं के नाम पर 5-5 हजार रुपए की फिक्स डिपोजिट करवाया है। साथ ही वह हर साल ऐसे दानदाताओं की तलाश भी करती हैं, जो 151 बच्चियों को अडॉप्ट करके उनकी पढ़ाई का जिम्मा उठा सकें।

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वाकई आज के युवाओं के लिए नितिशा एक प्ररेणा है, जो पढ़-लिखकर सिर्फ अपने मुनाफे के बारे में सोचते हैं।

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