नवरात्रि के पावन त्योहार की धूम देशभर में देखने को मिलती है। लोग इस दौरान देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए उनकी पूजा व व्रत करते हैं। इसके साथ देवी मां को अलग-अलग चीजों का भोग लगाया जाता है। वहीं कई जगहों पर नवरात्रि के पावन दिन पर देवी दुर्गा की मूर्ति स्थापना और विसर्जन किया जाता है। इसके लिए बड़े-बड़े पंडालों में भव्य आयोजन किए जाते हैं। कई जगह पर डांडिया नाइट्स भी किया जाता है। चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल में देशभर के अलग-अलग राज्यों में नवरात्रि का त्योहार मनाना तरीका बताते हैं...
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में नवरात्रि का पावन त्योहार ‘पूजो’ के नाम से मनाया जाता है। यहां पर दुर्गापूजा का विशेष आयोजन होता है। इस दौरान हर गली-नुक्कड़ पर पंडाल लगाए जाते हैं। साथ ही हर साल अलग-अलग थीम से इन पंडालों को सजाया जाता है। पंडालों में स्थापित देवी दुर्गा की मूर्ति आकर्षण का मुख्य केंद्र होती है। पंडालों में महिसाषुर मर्दनी मां दुर्गा की पूजा करने का महत्व है। देवी दुर्गा के साथ अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित की जाती है। बता दें, यहां पर नवरात्रि के छठे दिन मुख्य पूजा शुरू की जाती है। इसके साथ ही यहां पर महालया, षष्ठी, महासप्तमी, महाअष्टमी, महानवमी की पूजा का भी विशेष महत्व माना जाता है। इसके साथ दुर्गा विसर्जन के दिन महिलाएं सिंदूर खेला भी खेलती है।
बिहार-झारखंड
पश्चिम बंगाल की तरह बिहार-झारखंड में भी दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है। यहां पर भी महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा को पंडालों स्थापित करने का महत्व है। ऐसे में यह पूरी तरह से बंगाल की दुर्गा पूजा की तरह दिखाई देता है। बिहार-झारखंड में देवी के रूप को शक्ति के साथ तंत्र की भी देवी माना जाता है। इसी कारण नवरात्रि के दौरान यहां पर मंदिरों में बलि देने की परंपरा है। इसके साथ लोग घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर करने के लिए अलग-अलग उपा. भी करते हैं। साथ ही घरों में कलश स्थापना करने का भी खास महत्व माना जाता है।
पंजाब
पंजाब में इस दौरान दिन में सिंहवाहिनी मां दुर्गा का कीर्तन और रात में जगराता करने का महत्व है। यहां पर नवरात्रि के पहले 7 या 8 दिन व्रत रखने की भी परंपरा है। लोग अष्ठमी या नवमी तिथि पर माता रानी को भोग लगाकर नौ कन्याओं का पूजन करते हैं। इसे कंजक पूजन या कंजीका कहा जाता है।
गुजरात
गुजरात में नवरात्रि के पहले दिन घरों में मिट्टी के मटके स्थापित करने की परंपरा है। इन मटकों में सुपारी, नारियल, चांदी का सिक्का रखा जाता है। मटके पर दीपक भी जलाने का खास महत्व है। हर रात लोग एक साथ इकट्ठे होकर देवी मां के नौ रूपों की पूजा करते हैं। इसके साथ ही रातभर गरबां-डांडिया डांस करके इस शुभ पर्व को मनाते हैं।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के लोग इस दौरान घरों में अखंड ज्योत जलाते हैं। इसे पूरे नवरात्रि यानि नौ दिनों तक जलाना जाता है। इसके साथ दशमी यानि दशहरे के दिन घर के पुरुषों द्वारा अपनी गाड़ियों, औजार, टूल्स आदि की पूजा की जाती है। इसे ‘अयुद्ध पूजा’ कहते हैं।
उत्तर भारत के राज्य
उत्तर भारत के राज्यों में इस दौरान राम लीला खेलने की परंपरा है। यहां पर कई दिनों पहले से ही इसकी तैयारियां शुरु कर दी जाती है। खास मंच तैयार होता है। फिर कलाकार रामायण की कथा का अभिनए करते हैं। रामलीला को देखने के लिए भीड़ जमा होती है। इसके साथ ही दशहरा के दिन रावणवध काफी प्रचलित परंपरा में से एक है। यहां पर दशहरे का खास मेला भी आयोजित किया जाता है।
दक्षिण भारत के राज्य
तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश इन तीनों राज्यों में नवरात्रि आमतौर पर एक जैसी ही मनाई जाती है। यहां पर मिट्टी की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाई जाती हैं। यह मूर्ति भगवान के साथ दूल्हा-दुल्हन, घोड़ा, गाड़ी, घर आदि की होती है। इसके साथ ही इन्हें खास सीढ़ीनुमा स्टेज पर रखा जाता है। इन्हें एक विषम संख्या में सजाने की परंपरा है। इन राज्यों में इस पावन पर्व को गोलू, बोम्मा गोलू, बोम्बे हब्बा भी कहा जाता है। इस दौरान नवरात्रि के पहले दिन गणपति, सरस्वती, पार्वती और लक्ष्मी की पूजा होती है। इसके साथ ही नवमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने का महत्व है।