हर वक्त दौड़ती भागती दिल्ली के बीचों-बीच लाल बलुआ पत्थर से बनी एक खूबसूरत इमारत के सामने से गुजरें तो पल भर को नजर ठहर जाती हैं। पांचवे मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा तामीर कराए गए इस ऐतिहासिक लाल किले को वर्ष 2007 में युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुना।
शानदार गुंबदों, बेहतरीन मेहराबों और जालीदार छज्जों से सजी यह इमारत, बेहतरीन स्थापत्य कला और बेमिसाल कारीगरी का नमूना है। देश के इतिहास में इसके महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आजादी के बाद से हर वर्ष 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित करते हैं। इतिहास के पन्नों को पलटें तो मालूम पड़ता है कि लाल किले की नींव 1639 में 29 अप्रैल के दिन ही रखी गई थी।
लाल किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थर एवं सफेद संगमरमर के पत्थरों से किया गया है। इस किले के निर्माण के समय इसे कई बहुमूल्य रत्नों व सोने-चांदी से सजाया गया था, लेकिन अंग्रेजों ने यहां से सभी बहुमूल्य रत्न और धातु निकाल ले गए। करीब डेढ़ किलोमीटर की परिधि में फैले भारत के इस भव्य ऐतिहासिक स्मारक के चारों तरफ करीब 30 मीटर ऊंची पत्थर की दीवार बनी हुई है, जिसमें मुगलकालीन वास्तुकला का इस्तेमाल कर बेहद सुंदर नक्काशी की गई है।
इमारत के दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं – लाहौरी गेट और दिल्ली गेट। लाहौरी गेट किले का मुख्य प्रवेश द्वार है, जबकि दिल्ली गेट इमारत के दक्षिणी छोर पर सार्वजनिक प्रवेश द्वार है। इनमें दीवान-ए-आम, संगमरमर से बने भव्य महल, मस्जिद, बगीचे और आलीशान महल शामिल हैं। इनमें आपको मुगल शासकों का समृद्ध इतिहास दिखाई देता है। लाल किले की दीवारों की लंम्बाई 2.5 किलोमीटर है। दिवारों की ऊँचाई यमुना नदी की ओर 18 मीटर जबकि शहर की ओर 33 मीटर है।
आप जब इस किले में टहलते हैं तो आपके दिमाग में अहसास होता है कि सम्राट का जीवन कैसा होता होगा। आप उसकी एक झलक महसूस कर सकते हैं।लाल किला के अंदर बने रंग महल में मुगल शासक शाहजहां की पत्नियां और रखैलें रहती थीं। रंग महल की बेहद सुंदर नक्काशी की गई थी और इस महल को शीशे की मोज़ेक के साथ सजाया गया था। पहले रंग महल का नाम ”पैलेस ऑफ कलर्स” भी रखा गया था।
लाल किला घूमने के लिए टिकट लेना होता है। कोरोना से पहले खिड़की से टिकट लेने की सुविधा थी लेकिन अब केवल ऑनलाइन टिकट बुक करके ही लाल किया घूमा जा सकता है। बच्चों और वयस्कों को केवल स्मारक घूमने का टिकट कर्मश: 35 रुपए और 50 रुपए है। वहीं स्मारक और संग्रहालय दोनों देखने का टिकट क्रमश: 56 रुपए और 80 रुपए का है।