कोरोना वायरस की दूसरी लहर बड़ों के साथ-साथ बच्चों को भी प्रभावित कर रही है। वहीं अब कोरोना को मात देकर ठीक हो रहे बच्चों में नई बीमारी देखने को मिल रही है। दिल्ली में बच्चों के 177 मामले ऐसे सामने आए हैं जो मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MSI-C) नाम की बीमारी से ग्रस्त हैं। इस बीमारी का शिकार 6 महीने से लेकर 15 साल तक के बच्चे हो रहे हैं। चलिए जानते हैं क्या है इस बीमारी के लक्षण...
एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना वायरस से संक्रमित बच्चों में निमोनिया या फिर एंटीबॉडी से संबंधित इनफ्लेमेशन देखने को मिला। वहीं बच्चों में मल्टी-सिस्टम इनफ्लेमेशन सिंड्रोम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
मल्टी-सिस्टम इनफ्लेमेशन सिंड्रोम के लक्षण
. एक्सपर्ट के मुताबिक बच्चा अगर मल्टी-सिस्टम इनफ्लेमेशन सिंड्रोम से ग्रस्त है तो उसे बुखार आएगा।
. इस बीमारी से हार्ट, फेफड़ों, ब्रेन और त्वचा पर सूजन आएगी।
. बुखार 3 से 5 दिनों तक और सांस लेने में तकलीफ।
. इसके साथ ही पेट में तेज दर्द, दस्त और ब्लड प्रेशर में गिरावट आती है।
. मुंह में छाले, शरीर पर चकत्ते पड़ना, त्वचा और नाखूनों का नीला पड़ना, आंखों का लाल होना।
बच्चों के खाने में दें विटामिन-सी
बच्चों को विटामिन-सी युक्त भोजन जैसे- खट्टे फल, जिंक भरपूर खाना दें। इसके अलावा उनकी डाइट में दूध और प्रोटीन शामिल करें। बच्चों को चिप्स, कोल्ड ड्रिंक से दूर रखें।
आईसीयू में भर्ती हुए बच्चों को ज्यादा खतरा
विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना की चपेट में आने के बाद जो बच्चे आईसीयू में भर्ती हुए थे उन्हें इस बीमारी का ज्यादा खतरा है। यह बीमारी बच्चों के दिल, फेफड़े समेत शरीर के दूसरे अंगों पर भी असर डालती है।
पेरेंट्स रहें अलर्ट
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बीमारी का सही समय पर पता चल जाए तो इलाज संभव है। इसलिए कोरोना वायरस से रिकवर हुए 6 महीने से लेकर 15 साल तक के बच्चों के पेरेंट्स को ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है। वहीं 5 से 15 साल के बच्चों में इस तरह के ज्यादा मामले नहीं आए हैं। बता दें दिल्ली के अलावा फरीदाबाद और गुड़गांव में 68 ऐसे केस सामने आए हैं।