बच्चों के साथ यौन शोषण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसके चलते बच्चों को गुड टच और बेड टच के बारे में बताना बहुत जरूरी हो गया है। ऐसे में दिल्ली की मेघा ने बच्चों को यौन शोषण के प्रति जागरूक करने का अनोखा तरीका निकाला है। दरअसल, दिल्ली में रहने वाली मेघा भाटिया एनिमेटिड फिल्मों के जरिए बच्चों को गुड टच बेड टच का मतलब समझाने का काम कर रही है।
हर सेंकड यौन शोषण का शिकार हो रहे बच्चें
मेघा ने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन से मास्टर्स का पढ़ाई की है। एक रिसर्च प्रोजेक्ट के दौरान उन्हें देश में बच्चों में यौन शोषण के बढ़ते हुए मामलों की सारी जानकारी मिली। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अनुसार, बच्चों के साथ होने वाले 1,06,958 क्राइम केस में से 36,022 मामले यौन शोषण के होते हैं। यानि देश में हर सेकंड में कुछ बच्चे यौन शोषण व बलात्कार जैसी वारदात के शिंकजे में आ जाते हैं। हैरानी कि बात तो यह है कि डर, झिझक या शर्म की वजह से उनमें से आधे बच्चे अपराध के खिलाफ रिपोर्ट ही नहीं लिखवाते क्योंकि स्कूल में उन्हें इस बारे में शिक्षा ही नहीं दी जाती।
एनिमेटिड फिल्मों से बच्चों को कर रहीं जागरूक
फिर क्या इस जानकारी के बाद मेघा भारत आई और बच्चों को इस बारे में जागरूक करना शुरू किया। उन्हें एक ऐसी एनिमेशन फिल्म बनाई, जिसके जरिए वह बच्चों को यौन शोषण, गुड टच बैड टच के बारे में जानकारी देती हैं। उनका मकसद सिर्फ इतना है कि इसके जरिए वह जाने-अनजाने में होने वाली अपराध को कम कर सके।
बच्चों को देना चाहती हैं सुरक्षित माहौल
मेघा का कहना है कि एक दिन एक बच्ची ने मुझे कहा कि अगर वो उसके साथ होने वाले शोषण के बारे में घर पर बताएगी तो वो उसे डांटेंगे। तभी उन्होंने फैसला किया कि वो हर हाल में बच्चों को सुरक्षा का माहौल देंगी। अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए मेघा ने 10 मिनट की शॉर्ट फिल्म बनाई है, जो हिंदी और सांकेतिक भाषा, अंग्रेजी भाषा में मौजूद है, जिसका नाम 'हमारे सुपर बडीज, हमारे रक्षक' है।
NGO भी चलाती हैं मेघा
इसके अलावा मेघा एक NGO भी चलाती हैं, जिसके जरिए वह देश के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर बच्चों में जागरूकता फैलाती हैं। इसके अलावा वह बच्चों को जागरूक करने के लिए सेमिनार भी लगाती रहती हैं। बता दें कि मेघा ने यह फिल्म महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा के अलावा 9 राज्यों के वकीलों व टीचर्स से राय लेने के बाद बनाई है।
मेघा की यह पहल वाकई काबिले-ए-तारीफ है क्योंकि बढ़ते हुए यौन शोषण के मामलों को देखते हुए बच्चों के लिए यह बहुत जरूरी है। हालांकि मेघा ने जो जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है वो वास्तविक में पेरेंट्स का फर्ज है कि वो अपने बच्चों को इस बारे में सही जानकारी दें।