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सरकारी फैसले से 50% तक महंगी होंगी दवाइयां, जानें किन दवाइयों पर पड़ेगा असर

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 16 Oct, 2024 11:17 AM
सरकारी फैसले से 50% तक महंगी होंगी दवाइयां, जानें किन दवाइयों पर पड़ेगा असर

नारी डेस्क: हाल ही में नेशनल ड्रग प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने कुछ महत्वपूर्ण दवाइयों के दामों में बढ़ोतरी का ऐलान किया है, जिससे आम जनता पर असर पड़ सकता है। 8 प्रमुख दवाओं के 11 फॉर्मूलेशन की कीमतें 50% तक बढ़ाई गई हैं। यह निर्णय दवाओं को बनाने की लागत में बढ़ोतरी और कंपनियों को हो रहे घाटे के कारण लिया गया है। आइए जानते हैं इस फैसले से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें और यह आपके स्वास्थ्य और बजट को कैसे प्रभावित करेगा।

दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण

दवा कंपनियों को लंबे समय से इन दवाइयों की कम कीमतों के कारण नुकसान हो रहा था। खासकर वे दवाएं जो महत्वपूर्ण बीमारियों के इलाज में उपयोग होती हैं, जैसे: ग्लूकोमा, अस्थमा, टीबी और थैलेसीमिया। इन दवाओं की कीमतें इतनी कम थीं कि कई कंपनियों ने इनकी मार्केटिंग बंद कर दी थी, जिससे सप्लाई चेन पर भी असर पड़ा। इससे मरीजों और डॉक्टरों को इन दवाइयों की उपलब्धता में समस्याएं आईं।

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किन दवाओं के फॉर्मूलेशन पर पड़ा असर?

NPPA ने जिन दवाओं के फॉर्मूलेशन की कीमतों में वृद्धि की है, उनमें शामिल हैं

बेंजिल पेनिसिलिन 10 लाख IU इंजेक्शन
(फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट में इस्तेमाल होती है)

सालबुटामोल टैबलेट 2mg और 4mg
(अस्थमा के इलाज में उपयोगी)

रेस्पिरेटर सॉल्यूशन 5mg/ml

सफड्रोक्सील टैबलेट 500mg

एट्रोपिन इंजेक्शन 0.6mg/ml

स्ट्रेप्टोमाइसिन पाउडर 750mg और 1000mg

डेस्फेरिओक्सामाइन 500mg

यह दवाइयां बुनियादी और आवश्यक इलाज में इस्तेमाल की जाती हैं, इसलिए इनकी कीमतों में बढ़ोतरी का असर सीधे तौर पर मरीजों की जेब पर पड़ेगा।

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दवा फॉर्मूलेशन क्या होता है?

फॉर्मूलेशन उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें दवाइयों के विभिन्न घटकों को मिलाकर तैयार किया जाता है। इसका उद्देश्य दवा की गुणवत्ता और प्रभाव को बढ़ाना है, ताकि वह शरीर में सही तरीके से काम कर सके। दवाओं को टैबलेट, कैप्सूल, सिरप, या इंजेक्शन के रूप में फॉर्मूलेट किया जाता है।

आम जनता पर असर

इस बढ़ोतरी से सबसे ज्यादा असर उन मरीजों पर पड़ेगा जो क्रॉनिक बीमारियों से जूझ रहे हैं, क्योंकि इन दवाइयों का इस्तेमाल लंबी अवधि तक किया जाता है। 50% तक कीमत बढ़ने से दवाइयों का खर्च उनके मासिक बजट में बड़ा बदलाव ला सकता है। खासकर निम्न आय वर्ग के लोग, जो पहले ही चिकित्सा खर्चों से जूझ रहे हैं, उनकी स्थिति और अधिक कठिन हो सकती है। हालांकि दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी अनिवार्य हो गई है, लेकिन कुछ उपायों से इस आर्थिक दबाव को कम किया जा सकता है:

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1. सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं, आयुष्मान भारत जैसी सरकारी योजनाओं के तहत सस्ती या मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं मिल सकती हैं।

2. जन औषधि केंद्रों का इस्तेमाल, यहां आवश्यक दवाइयां रियायती दरों पर मिलती हैं, जो आम आदमी के लिए किफायती हो सकती हैं।

3.  कई बार जेनरिक दवाइयां ब्रांडेड दवाइयों के मुकाबले सस्ती होती हैं, इसलिए डॉक्टर से जेनरिक विकल्पों की सलाह लें।

4. दवाइयों की कीमतों में 50% तक की बढ़ोतरी से कई मरीजों और परिवारों पर आर्थिक दबाव बढ़ सकता है। हालांकि, यह बढ़ोतरी दवाइयों की गुणवत्ता और आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक थी, फिर भी आम जनता के लिए इसका प्रभाव गंभीर हो सकता है। बेहतर है कि लोग सरकारी योजनाओं और सस्ती दवाइयों के विकल्पों का उपयोग करें ताकि उन्हें अतिरिक्त वित्तीय बोझ से बचाया जा सके।

नोट: यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। कृपया किसी भी कदम उठाने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।

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