23 NOVSATURDAY2024 2:09:43 AM
Nari

शहीद की पत्नी कूड़े से कबाड़ ढूंढने को मजबूर, ऐसे हालातों में रह रहा परिवार

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 27 Jul, 2020 03:50 PM
शहीद की पत्नी कूड़े से कबाड़ ढूंढने को मजबूर, ऐसे हालातों में रह रहा परिवार

अगर आज हम अपने घरों में रातों को चैन से सो रहे है तो उसका श्रेय हमारे देश के जवानों को जाता है। जो अपने परिवार से दूर रहकर अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना हमारी और देश की हिवाजत के लिए बॉर्डर पर ड्यूटी दे रहे हैं। हमें उन पर मान है लेकिन आप ने कभी इन जवानों  के परिवारों के बारे में सोचा है कि वो इनके शहीद होने के बाद कैसे अपने घर का गुजारा करते होगें।  दरअसल गांव वरियाणा में एक दुखद खबर सामने आई जहां एक शहीद फौजी की पत्नी पति के बाद पूरी तरह से कर्ज में डूब गई चुकी है और उसके लिए अपने और अपने घर का गुजारा करना मुशिकल हो रहा है।  

PunjabKesari

कर्ज के लिए पैतृक घर बेचना पड़ा

गांव वरियाणा में शहीद फ़ौजी की पत्नी अपना पेट पालने पर इतनी मजबूर है कि उसने कूड़े के ढेर से कबाड़ इकट्ठा करके उसे बेचना शुरू किया है ताकि वह अपना गुजारा कर सके। भारी कर्ज़े के बोझ तले दबी शहीद की पत्नी की स्थिती इतनी खराब है कि कर्ज को उतारने के लिए उसे अपना पैतृक घर तक बेचना पड़ा लेकिन दुख की बात ये रही कि फिर भी  उसका कर्ज नहीं उतरा।

खबरों की मानें तो शहीद की पत्नी नरिन्दर कौर के पति भारतीय सेना में 14 सिख रेजीमेंट में थे। देश सेवा की बातें करते रहने वाले और देश सेवा के लिए अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार रहने वाला नरिन्दर कौर का पति 1998 को सेना के एक मिशन दौरान देश के लिए शहीद हो गया। 

घर के लिए लिया कर्ज

शहीद की पत्नी के अनुसार भारतीय सेना ने पति का अतिंम संस्कार पूरे सरकारी सम्मान के साथ किया और उसे हर वो सुविधाएं भी दीं जो एक शहीद की पत्नी को मिलती है लेकिन घर और अपने परिवार के अच्छे भविष्य के लिए उन्होंने कर्ज़ लिया था। 

न कर्ज उतर रहा न ब्याज : शहीद की पत्नी

PunjabKesari

 नरिन्दर कौर के अनुसार हमें क्या पता था कि परिवार के लिए लिया हुआ यह कर्ज़ हमारे लिए एक दिन श्राप बन जाएगा। अपने हालातों के बारे में बताते हुए शहीद की पत्नी कहती है कि न ही कर्ज़ उतर रहा और न ही ब्याज। अब आगे की जिंदगी में एक ही डर लग रहा है कि कहीं  इस फिक्र से जान ही न निकल जाए।

सुबह 4 बजे उठकर उठाती है कबाड़

रोटी के गुजारे के लिए शहीद की पत्नी ने सुबह 4 बजे उठकर रोज़ाना कूड़े के ढेर से कबाड़ उठाकर उसे बेचकर गुज़ारा करना शुरू कर दिया। शहीद की पत्नी के अनुसार सरकार से जो पैंशन मिलती है उससे तो एक महीने का ब्याज भी नहीं उतर रहा है।  उनके हालात इतने खाराब हैं कि कईं बार उनके पास खुद के खाने के लिए पैसे नहीं होते हैं। 

बेहद खराब हालात होने के कारण उन्होंने गुहार लगाते हुए कहा कि देश के लिए शहीद होने वाले हर परिवार की सहायता के लिए हम सबको आगे आना चाहिए, क्योंकि आज उनके कारण ही हम आज़ाद देश में सांस ले रहे हैं। 

Related News