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त्रिदेवताओं के क्रोध से प्रकट हुई थी मां चंद्रघंटा, कुछ ऐसी है मां दुर्गा के तृतीय रुप की पौराणिक कथा

  • Edited By palak,
  • Updated: 22 Mar, 2023 06:34 PM
त्रिदेवताओं के क्रोध से प्रकट हुई थी मां चंद्रघंटा, कुछ ऐसी है मां दुर्गा के तृतीय रुप की पौराणिक कथा

नवरात्रि प्रारंभ हो चुके हैं। नौ दिन चलने वाले नवरात्रि में मां के नौ अलग-अलग रुपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती हैं। मां चंद्रघंटा दुर्गा मां के तीसरे स्वरुप के रुप में जानी जाती हैं। मां पापों का नाश और राक्षसों का वध करती हैं। उनके हाथ में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदो होती है। इसके अलावा मां के सिर पर अर्धचंद्र घंटे के आकार में बना हुआ होता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि तीसरे दिन आप मां को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं...

पूजा विधि 

सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करने के बाद एक चौकी पर मां चंद्रघंटा की तस्वीर या फिर प्रतीमा रखें। इसके बाद मां की तस्वीर को गंगाजल के साथ स्नान करवाएं। चौकी पर एक कलश पानी से भरकर उसके ऊपर नारियल स्थापित करें। फिर मां का ध्यान करते हुए पंचमुखी घी का दीपक जलगाएं। इसके बाद माता को सफेद या फिर पीले गुलाब के फूलों से तैयार माला अर्पित करें। फूल अर्पित करने के बाद मां को रोली, चावल और पूजा सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद मां की आरती करके केसर की खीर या फिर दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।  

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मां चंद्रघंटा की कथा 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब धरती पर दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा तो मां चंद्रघंटा ने अवतार लिया था। उस समय महिषासुर नाम के राक्षस का देवताओं के साथ भयंकर युद्ध चल रहा था। यह राक्षस देवराज इंद्र का सिंहासन लेना चाहता था। वह स्वर्ग लोक पर राज करना चाहता था इसलिए भयंकर युद्ध कर रहा था। जब देवताओं को यह बात पता चली तो वह परेशान होकर भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंचे। ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों ने देवताओं की बात सुनकर क्रोध प्रकट किया। इन देवतागणों के क्रोध प्रकट करने पर मुख से एक ऊर्जा निकली। उसी ऊर्जा से एक देवी ने अवतार लिया। देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशुल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज, तलवार और सिंह दिया। इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध करके देवताओं की रक्षा की थी। 

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मां की पूजा करने से मिलती है शांति 

मान्यताओं के अनुसार, देवी दुर्गा के इस स्वरुप की पूजा करने से मन को शांति मिलती है। सिर्फ इस लोक में ही नहीं बल्कि परलोक में भी भक्तों को परम कल्याण की प्राप्ति  होती है। मां की अराधना करने वाले जातों को एक अपूर्व शक्ति का अनुभव भी होता है। मां के पूजा के लिए दूध का प्रयोग करना शुभ माना जाता है। 

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