'प्यार' एक ऐसा एहसास जो जिंदगी में हर किसी को होता है। प्रेम का यह खूबसूरत एहसास किसी को जल्दी हो जाता है तो तो किसी को देर बाद लेकिन साहब इन गलियों से हर कोई गुजरता है। ढाई अक्षरों के शब्द 'प्यार' में प चाहे आधा आता है लेकिन इसके बिना यह शब्द पूरा नहीं होता है। उसी तरह हमारी जिंदगी में भी कईं ऐसे लोग होते हैं जिनके बिना हम अधूरे होते हैं। आज वैलेंटाइन डे के इस खास दिन पर हम आपको एक ऐसी कहानी बताएंगे जिसे सुन आप भी कहेंगे कि प्यार की कोई सीमा नहीं होती है।
ये कहानी है नेत्रहीन IIS अफ़सर कमल कुमार की...तो चलिए इनकी दिल जीतने वाली कहानी आप भी सुन लीजिए।
जन्म से ही नहीं हैं आंखें
आंखें हमारी बॉडी का बेहद जरूरी है अंग यह न हो तो हम दुनिया का कोई रंग नहीं देख सकते हैं। कुछ लोग जो नेत्रहीन होते हैं वह जिंदगी में हार मान लेते हैं लेकिन कमल कुमार ने कभी हार नहीं मानी और यही कारण है कि वह आज IIS अफ़सर हैं। इस मुक्काम तक पहुंचने के लिए उनके परिवार वालों ने भी उनका पूरा साथ दिया। वह इसके लिए माता-पिता को तो धन्यावाद करते ही हैं साथ ही वह इस सफलता का श्रेय पत्नी को भी देते हैं। कमल और उनकी पत्नी की तो लव स्टोरी भी बेहद दिलचस्प है।
स्कूल में हुई थी दोनों की मुलाकात
कमल जहां नेत्रहीन हैं तो वहीं उनकी पत्नी विनीता लाइट परसेप्शन हैं। दोनों की मुलाकात स्पेशल स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई। इस मुलाकात के बाद ही दोनों में प्यार की शुरूआत हुई। हालांकि विनीता कमल की जूनियर थी लेकिन जब दोनों कॉलेज में आए तो यह रिश्ता और गहरा होता गया।
हॉस्टल की पाबंदियों के कारण मुलाकात हो जाती थी मुश्किल
विनीता और कमल एक साथ स्कूल में पढ़ते थे और दोनों एक दूसरे को बचपन से ही जानते थे। अब भई आप भी जब कभी अपनी प्रेमिका को मिलने गए होंगे तो हॉस्टल की पाबंदियों के कारण आपको भी वापिस खाली हाथ ही आना पड़ा होगा। बस कुछ ऐसा ही होता था कमल और विनीता के साथ।
सपना पूरा करने के लिए विनीता ने दिया हर कदम में साथ
कमल बचपन से ही नेत्रहीन थे जिसके कारण लोग उन्हें यही सलाह देते थे कि वह आगे की पढ़ाई करे और आराम से प्रोफेसर बन जाए लेकिन कमल के इरादे मजबूत थे वह इस लाइन में न जाकर रेडियो की लाइन में जाना चाहते थे। कमल ने 11 वीं क्लास में ही यह निर्णय ले लिया था कि वह रेडियो की लाइन में जाएंगे। लोगों ने उन्हें कईं ताने भी दिए लेकिन कहते हैं न कि एक सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है और ऐसा ही कुछ किया विनीत ने। जब लोगों ने कमल को ताने दिए तो उस समय कमल के साथ खड़े हुई विनीता और उन्हें इस लाइन में आगे जाने के लिए कहा।
ताने दिया करते थे लोग
कमल बाकी पढ़ाई में हमेशा से तेज थे। वह डिबेट कम्पीटिशन में भी हमेशा आगे रहते थे। उन्हें जब भी कभी प्राइज मिलता तो लोग उन्हें ताने देते कि इसे तो दया भावना में दे दिया होगा। लेकिन लोगों के इस तानों से भी कमल रूके नहीं।
स्कूल के बाद कॉलेज में भी मिला विनीता का साथ
स्कूल से निकलने के बाद जब कमल कॉलेज गए तो वहां उन्हें एक बार फिस से विनीता का साथ मिला। जैसे कि हमने आपको पहले बताया कि विनीता कमल से एक साल जूनियर थी ऐसे में वह भी दिल्ली पढ़ने के लिए आई। बचपन का प्यार अब असल रूप लेता जा रहा था। दोनों में अकसर मुलाकाते होने लगीं। इतना ही नहीं दोनों ने दिल्ली जैसे शहर में एक साथ ही संघर्ष किया और रहने के लिए किराए के घर भी ढूंढे।
IIMC में मिली रेडियो प्रेजेंटर की नौकरी
कमल ने मीडिया हाउस में भी काम किया और इसके बाद आईआईएमसी में उन्होंने रेडियो प्रेजेंटर का काम किया। लेकिन यहां भी उन्हें लोगों के ताने सुनने को मिले लेकिन वह रूके नहीं। इसके बाद उन्होंने IS सीनियर ऑफिसर की पोस्ट के लिए आवेदन किया तो वो भी क्रैक कर ली। इतना ही नहीं विनीता और कमल के ऑफर लेटर भी एक साथ ही आए। आज विनीता एक सरकारी स्कूल में काम कर रही है।
सच में कमल और विनीता ने आज दुनिया को यह तो दिखा दिया कि अगर आपका प्यार सच्चा है तो कुछ भी आपके लिए मुश्किल नहीं है बस आपका प्यार सच्चा होना चाहिए।