गुरु गोबिंद सिंह जी सिख धर्म के 10वें व आखिरी गुरु थे। हर साल पौष शुक्ल सप्तमी तिथि को गुरु जी जयंती सिख समुदाय द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार यह खास दिन 9 जनवरी दिन रविवार को पड़ रहा है। गुरु जी की जयंती को प्रकाश पर्व भी कहते हैं। इस दिन गुरुद्वारों को विशेष तौर पर सजाया, भजन, कीर्तन किए जाते हैं। लंगर का भी खास आयोजन किया जाता है। सिख धर्म के लोग इस दिन खासतौर पर गरीबों को जरूरत का सामान दान करते हैं। गुरु गोबिंद जी एक महान योद्धा, कवि, भक्त थे। गुरु जी ने ही खालसा पंथ की स्थापना करके सिखों को एकजुट होकर अपने हक के प्रति युद्ध करने की प्रेरणा दी। चलिए उनकी जयंती के शुभ अवसर पर हम आपको गुरु जी से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं...
09 जनवरी को मनाया जाएगा गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व
पंचांग अनुसार गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष शुक्ल सप्तमी के दिन पटना साहिब में हुआ था। इस साल यह शुभ तिथि 08 जनवरी 2022 दिन शनिवार की रात 10:42 मिनट से शुरू होकर 09 जनवरी 2022 दिन रविवार में 11:08 मिनट तक रहेगी। मगर गुरु जी का प्रकाश पर्व सिखों के नानकशाही कैलेंडर के आधार पर ही तय किया जाता है।
गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना
गुरु जी का बचपन का नाम गोबिंद राय था। गुरु जी ने 1699 को वैसाखी के दिन पंज प्यारों से अमृत छकाया और खालसा पंथ की स्थापना की नींव रखी। उसके बाद वे गोबिंद राय से गोबिंद सिंह बन गए।
सिखों के 10वें और आखिरी गुरु
गुरु गोबिंद सिंह सिख धर्म के 10वें और आखिरी गुरु थे। गुरु जी ने अपने बाद गुरु ग्रंथ साहिब सबसे ऊपर बताया। इसतरह उनके बाद गुरु प्रथा खत्म होकर सिख समुदाय की ओर से गुरु ग्रंथ साहिब की पूजा होने लगे। इसतरह उस दिन से गुरु ग्रंथ साहिक को मार्गदर्शक और पवित्र ग्रंथ की तरह पूजा जाने लगा।
गुरु जी ने खालसा पंथ की रक्षा के लिए कई लड़ाइयां लड़ी
'वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह' खालसा वाणी गुरु जी द्वारा दी गई। इसके साथ ही खालसा पंथ की रक्षा के लिए गुरु जी ने मुगलों और उनके सहयोगियों से कई लड़ाइयां लड़ी और जीत हासिल की।
गुरु जी ने जीवन जीने के दिए पांच सिद्धांत
गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख समुदाय को जीवन जीने के पांच सिद्धांत भी दिए थे। इन पांच सिद्धांत को 5 ककार के नाम से भी जाना जाता है। इनका मतलब ‘क’ शब्द से शुरू होने वाली उन चीजों से है, जो हर खालसा सिख को धारण करना जरूरी है। ये पांच चीजें केश, कड़ा, कृपाण, कंघा व कच्छा है। ऐसे में जो लोग अमृत छकते हैं उन्हें ये 5 चीजें धारण करना अनिवार्य है।
गुरु जी एक बेहतरीन लेखक
गुरु जी को संस्कृत, फारसी, पंजाबी अरबी आदि कई भाषाओं का ज्ञान था। ऐसे में वे वीर-योद्धा होने के साथ एक बेहतरीन लेखक भी थे। गुरु जी ने कई ग्रंथों की रचना की जो आज भी लोगों द्वारा बेहद ध्यान व श्रद्धा से पढ़ी जाती है।
गुरु गोबिंद सिंह का तीन बार विवाह हुआ
बता दें, गुरु गोबिंद सिंह का तीन बार विवाह हुआ था। इसके साथ ही इनके जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फतेह सिंह और अजीत सिंह कुल चार पुत्र यानि साहबजादे थे।