आज पितृ पक्ष का चतुर्थ श्राद्ध है, जो आश्विन मास की कृष्ण पक्ष तिथि में मनाया जाता है। हिंदी धर्म में चतुर्थ श्राद्ध को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन श्राद्ध करने और पितरों को याद करने से बड़े-बुजुर्ग खुश होते हैं।
महाभारत में आता है पितृ पक्ष का वर्णन
श्रीकृष्ण की महाभारत में भी पितृपक्ष का वर्णन किया गया है। महाभारत में युधिष्ठिर को भीष्म पितामह ने पितृपक्ष का महत्व समझाया था। यही नहीं, श्रीकृष्ण के पितृपक्ष का महत्व बताने पर ही युधिष्ठिर ने कर्ण का श्राद्ध किया था।
चतुर्थी श्राद्व में पिंड दान की विधि
-पंचांग के अनुसार, आज आश्विन मास का चतुर्थी श्राद्ध है, जिसमें पिंडदान, दान, तर्पण करना शुभ माना जाता है। इसमें चावल, दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर पिंड बनाएं और फिर उसे पितरों को अर्पित करें।
-इसके अलावा जल में जौ, काले तिल, सफेद फूल, कुशा डालकर पूर्वजों को तर्पण करें। इसके बाद गरीबों को दान और ब्राह्मण भोज करवाएं।
कब और कैसे करें कर्म श्राद्ध
-हिंदी धर्म में कर्म श्राद्ध को भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पितरों का श्राद्ध करना उचित होता है।
-वहीं, पिता का श्राद्ध अष्टमी और माता का श्राद्ध नवमी में करना अच्छा होता है।
-अगर किसी सदस्य की अकाल मृत्यु हुई हो तो आप चतुर्दशी के दिन श्राद्ध कर सकते हैं।
-द्वादशी के दिन साधु व संन्यासियों का श्राद्ध अच्छा माना गया है।
अगर मृत्यु की तिथी याद ना हो तो क्या करें?
अगर आपको पितरों की मृत्यु तिथि याद ना हो तो आप अमावस्या तिथि में श्राद्ध कर सकते हैं। ऐसा करने से पितृ भी खुश होंगे और उनकी कृपा दृष्टि भी बनी रहेगी।