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खूबसूरत, मुलायम और बेहद ही अनमोल है कश्मीर की पश्मीना शॉल, बनाने में लगती है कड़ी मेहनत

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 23 Sep, 2024 07:36 PM
खूबसूरत, मुलायम और बेहद ही अनमोल है कश्मीर की पश्मीना शॉल, बनाने में लगती है कड़ी मेहनत

नारी डेस्क:  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन दिनों अपनी अमेरिका की यात्रा को लेकर चर्चाओं में बने हुए हैं। इसी बीच सबसे ज्यादा बात हो रही है पश्मीना शॉल की जिसे मोदी ने अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडन को भेंट की है।  पश्मीना शॉल जम्मू-कश्मीर की हस्तकला की समृद्ध और बेहतरीन विरासत का नमूना है, ऐसे में लोग इसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटाना चाहते हैं। तो चलिए आज हम आपको विस्तार से बताते हैं इसकी खासियत के बारे में। 

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‘पापियर माशे' डिब्बे में पैक की जाती है शॉल 

पश्मीना शॉल की खासियत उसकी अद्वितीय गुणवत्ता, कोमलता, और कारीगरी में निहित होती है। यह एक बेहतरीन और कीमती शॉल होती है, जिसे विशेष रूप से पश्मीना ऊन से बनाया जाता है। खास बात यह है कि इसे  पारंपरिक रूप से जम्मू-कश्मीर से ‘पापियर माशे' डिब्बे में पैक करके दी जाती हैं।  ये डिब्बे अपनी मनमोहक सुंदरता और शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं। 


किस तरह बनती है ये शॉल 

पश्मीना शॉल को विशेष रूप से कश्मीर के पहाड़ों में पाए जाने वाले चांगथांगी बकरी के ऊन से बनाया जाता है, जिसे 'पश्मीना' कहा जाता है। यह ऊन बेहद मुलायम और हल्का होता है, इसलिए इसे पहनने पर एक खास अनुभव होता है। पश्मीना शॉल को बनाने की प्रक्रिया बहुत ही कठिन और समय लेने वाली होती है। इसे हाथ से काता और बुना जाता है, जिससे यह शॉल न केवल फैशन का प्रतीक बनता है, बल्कि कारीगरों की निपुणता और कला का भी अद्वितीय उदाहरण है। इसे बनाने में कई साल लग जाते हैं 

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थर्मल इंसुलेशन

पश्मीना ऊन में प्राकृतिक थर्मल इंसुलेशन होता है, जो इसे ठंड से बचाने में बेहद प्रभावी बनाता है। इसे पहनने से ठंड के मौसम में गर्माहट मिलती है, लेकिन यह बहुत हल्का भी होता है। पश्मीना शॉल अपने हल्के वजन के लिए जानी जाती है। इसे बेहद आसानी से फोल्ड किया जा सकता है, और इसे पहनने पर कोई भारीपन महसूस नहीं होता। यह शॉल आपको स्टाइलिश और आरामदायक दोनों बनाता है। पश्मीना शॉल की कीमत पंद्रह सौ रुपए से शुरू हो कर डेढ़ लाख रुपये तक होती है
   

डिज़ाइन और पैटर्न

पश्मीना शॉल पर किए गए कढ़ाई और डिजाइन बारीकी से हाथ से किए जाते हैं। इसमें फ्लोरल, ज्योमेट्रिक या कश्मीर की पारंपरिक शिल्पकला के पैटर्न होते हैं, जो इसे एक फैशनेबल और अनमोल शॉल बनाते हैं। अगर पश्मीना शॉल की सही देखभाल की जाए, तो यह बहुत लंबे समय तक चलती है। इसकी गुणवत्ता और मुलायमपन बरकरार रहता है, जो इसे एक टिकाऊ फैशन एसेसरी बनाता है।

 

कीमती और रॉयल फील

पश्मीना शॉल का इस्तेमाल ऐतिहासिक रूप से रॉयल्टी और अभिजात्य वर्ग द्वारा किया गया है। इसे पहनने से एक रॉयल और क्लासी लुक मिलता है, जो इसे फैशन में भी एक खास स्थान देता है। पश्मीना ऊन प्राकृतिक रूप से हाइपोएलर्जेनिक होता है, जिसका मतलब है कि यह त्वचा को किसी प्रकार की एलर्जी या जलन नहीं देता। इसे संवेदनशील त्वचा वाले लोग भी आसानी से पहन सकते हैं।

 

पर्यावरण के अनुकूल

पश्मीना शॉल पूरी तरह से प्राकृतिक ऊन से बनाई जाती है, इसलिए यह पर्यावरण के अनुकूल मानी जाती है। इसके निर्माण में किसी तरह के सिंथेटिक तत्वों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। पश्मीना शॉल अपनी नाज़ुकता, कोमलता, और उच्च गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है। यह न केवल ठंड से बचाने का काम करता है, बल्कि फैशन का एक अमूल्य हिस्सा भी है।
 

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