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पति नाराज, फिर भी हौंसलें बुलंद.. बगावत कर पूजा बनी कश्मीर की पहली महिला बस ड्राइवर

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 28 Dec, 2020 04:48 PM
पति नाराज, फिर भी हौंसलें बुलंद.. बगावत कर पूजा बनी कश्मीर की पहली महिला बस ड्राइवर

कहते हैं कि जिनके हौसले बुलंद होते हैं कामयाबी भी उन्हीं के कदम चूमती है। नारी तो वो शक्ति है जो नामुमकिन को मुमकिन कर सकती है। ऐसी ही एक मिसाल है कश्मीर की रहने वाली पूजा देवी जो घर से बगावत कर बस ड्राइवर की नौकरी कर रही हैं। चलिए आपको बताते हैं इनके हौंसले की कहानी....

जम्मू कश्मीर की पहली महिला बस ड्राइवर

कश्मीर के सांधर की रहने वाली पहली महिला बस ड्राइवर बन दूसरी महिलाओं के लिए भी मिसाल कायम की है। उन्होंने साबित कर दिया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है। कठुआ रूट पर बस दौड़ाने वाली पूजा को बचपन से ही बड़ी गाड़ी चलाने का शौक था लेकिन उनके परिवार में लड़कियों का ऐसा करना अच्छा नहीं माना जाता।

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परिवार के खिलाफ जाकर थामा स्टीयरिंग

ऐसे में उन्होंने परिवार और पति की इच्छा के खिलाफ जाकर अपने सपनों को पूरा। उन्होंने हर चुनौती व संघर्ष का अपनी मेहनत व जज्बे से सामना कि और नतीजा आपके सामने है। ड्राइविंग सीखने के लिए उन्होंने कुछ साल पहले की टैक्सी चलाई। इसके बाद उन्होंने जम्मू में ट्रक भी चलाया और अब वह स्थानीय ट्रांसपोर्टर में बस चलाकर अपने सपनों की उड़ान भर रही हैं।

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ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं है पूजा

बता दें कि पूजा कश्मीर में बस चलाने वाली पूजा पहली महिला ड्राइवर हैं। हालांकि भारत की पहली महिला बस ड्राइवर वसंतकुमारी थी जो तमिलनाडु राज्य की राजधानी चेन्नई में एक बस चालक के रूप में प्रसिद्ध हुई थी। पूजा ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं है लेकिन अपने इस काम को वह भली-भांति जानती हैं। जब उन्होंने कठुआ रूट पर बस चलाने के लिए स्टीयरिंग संभाला तो हर कोई उन्हें देखकर हैरान हो गया था।

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मामा से सीखी थी ट्रक ड्राइविंग

उन्होने ट्रक ड्राइविंग अपने मामा राजिंदर सिंह से सीखी थी, जिसके बाद पूजा ने भारी वाहन चलाने के लिए आवेदन दिया था। पूजा कहती हैं कि अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा लेकिन वह इस टैबू को तोड़ना चाहती हैं सिर्फ पुरुष ही बस चला सकते हैं।

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दूसरी महिलाओं को सीखाना चाहती हैं ड्राइविंग

अब पूजा का मकसद यही रूकना नहीं है वह दूसरी महिलाओं को भी ड्राइविंग सिखाना चाहती हैं। उनका कहना है कि वह कोई बड़े ख्वाब नहीं देखती लेकिन ड्राइविंग को लेकर खुली आंखों से देखा सपना पूरा कर लिया है। अब मैं दूसरी महिलाओं को ड्राइविंग सिखाना चाहती हूं।''

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वाकई, पूजा के हौंसले और सपने पूरे करने की लगन समाज के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

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