नारी डेस्क: सोलह सोमवार व्रत के द्वारा भक्त भगवान शिव से अपनी भक्ति को दर्शाते हैं। इस व्रत का पालन सुख, शांति और समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। अविवाहित लड़कियां और लड़के इस व्रत को इस लिए भी करते हैं, ताकि उन्हें अपना जीवनसाथी मिल सके।व्रत के दौरान, भक्त उपवास रखते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान शिव के भजन गाते हैं। सोमवार व्रत धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि मानसिक शांति और जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए भी महत्वपूर्ण है।इस व्रत को श्रावण माह से शुरू करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
सोमवार व्रत पूजा विधि
1. तैयारी:
- सूर्योदय से पहले, काले तिलों को पानी में डालकर स्नान करें। इसके बाद साफ वस्त्र पहनें।
- हाथ में पान का पत्ता, सुपारी, जल, अक्षत, और कुछ सिक्के लेकर शिव जी के लिए इस मंत्र का जाप करें: "ॐ शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्ध त्रिलोचनम्। उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्॥" फिर इन वस्तुओं को भगवान शिव की मूर्ति के सामने समर्पित करें।
2. पूजा का समय:
- सोमवार की पूजा दिन के तीसरे पहर में, यानी करीब 4 बजे के आसपास करें।
- सूर्यास्त से पहले पूजा सम्पूर्ण होनी चाहिए। प्रदोष काल में पूजन सबसे उत्तम माना गया है।
3. पूजा विधि:
- एक तांबे के पात्र में शिवलिंग रखें और "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते हुए भगवान भोलेनाथ को पंचामृत से अर्पित करें।
- फिर शिवलिंग का विधि-विधान से अभिषेक करें। बेलपत्र, धूप, दीप, धतूरा, इत्र, पुष्प, अष्टगंध, सफेद वस्त्र, गन्ने का रस, मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री, फल, मिठाई आदि से भगवान शिव और माँ पार्वती को अर्पित करें।
4. व्रत कथा:
- सोमवार की व्रत कथा को पढ़ें। महामृत्युंजय मंत्र और शिव चालीसा का पाठ भी करें।
- परिवार के सदस्यों के साथ शंकरजी की आरती करें।
5. प्रसाद:
- भगवान शिव को चूरमे का भोग लगाएं। भोग के रूप में खीर, ऋतु फल, बेर, और नैवेद्य भी अर्पित करें।
- सभी में प्रसाद बांटने के बाद खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।
6. व्रत की समाप्ति:
प्रति सोमवार एक ही समय पर व्रत खोलें और बिना नमक के भोजन करें।
इस प्रकार 16 सोमवार तक व्रत करें, फिर 17वें सोमवार को उद्यापन करें।
सोमवार व्रत उद्यापन विधि
उद्यापन की तैयारी:
सुबह उठकर, पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें और सफेद वस्त्र पहनें।
घर के सभी को गंगाजल से शुद्ध करने के लिए छिड़कें और पूजा स्थल को गंगाजल से अभिषेक करें।
उद्यापन पूजा:
शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करें और "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें।
इसके बाद पूजा समग्री और फल-मिठाई का भोग लगाएं।
अगर संभव हो तो ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान दें।
उद्यापन की आरती:
भगवान शिव की आरती उतारें और उन्हें प्रणाम करें।
प्रसाद:
सभी को प्रसाद बांटें और स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।
मंगलकामनाएं:
इस व्रत के द्वारा भगवान शिव से मानसिक शांति, सुख-समृद्धि, और आशीर्वाद प्राप्त करें।
इस प्रकार, सोलह सोमवार व्रत का पालन कर भक्त अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहते हैं।