जब एक लड़की शादी करके ससुराल आती है तो उसका सहारा उसका पति ही होता है। लेकिन कई बार जब हमसफर चुनने में गलती हो जाए तो फिर तो पूरी जिंदगी ही बरबाद हो जाती है। खासकर जब लव मैरेज हो तो फिर तो मां-बाप से भी इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते, क्योंकि भाई पसंद तो खुद की ही थी। ऐसी ही कुछ हुआ मेरी सेहली रूपा के साथ। चंडीगढ़ में जॉब कर रही रूपा को अपने Colleague हिमांशु से प्यार हो गया। हिमांशु की घर की माली-हालत अच्छी नहीं थी,पीछे परिवार भी घर की बेटी की शादी करके कर्जे में डूबा हुआ था। लेकिन वो कहते हैं ना की प्यार अंधा होता है, बस कुछ महीनों की डेटिंग को रूपा ने सच्चा इश्क समझ लिया। इस बीच उसने हिमांशु की पैसों से भी बहुत मदद की। कार के पेट्रोल से लेकर घर में मां के फोन रिचार्ज के पैसे भी वो रूपा से ही मांगता। ये सब देखकर मुझे लड़के की नीयत पर शक हुआ और मैंने कई बार रूपा को समझाने की भी कोशिश भी की।
लेकिन कुछ महीनों बाद रूपा ने हिमांशु के साथ अपने रिश्ते को आगे बढ़ाने की कोशिश की और सामने से उसे शादी के लिए पूछा। लड़का भी मान गया और उसके घरवाले भी। लेकिन रूपा थोड़ी अच्छी फैमिली से आती थी, किसी चीज की कोई कमी नहीं थी। जब रूपा ने अपने घरवालों को हिमांशु के बारे में बताया तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया। वो चाहते थे कि बेटी अच्छे घर में जाए, जहां उसे सारा ऐशो-आराम मिले। लेकिन प्यार में पड़ी रूपा को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने अपनी मां-बाप की मर्जी के खिलाफ जाकर मंदिर में हिमांशु से शादी कर ली। यहां तक तो सब कुछ ठीक था।
लेकिन शादी के कुछ ही दिन बाद हिमांशु ने अपने रंग दिखाने शुरू किए। वो रूपा का सैलारी वाला debit card तक अपने पास रखता। उसे उसके ही पैसों का हिसाब मांगता और बिना पूछा अपने घर उसकी कमाई के पैसे भेज देता। हालात ऐसी हो गई की रूपा के पास खुद की जरूरत पूरी करने के लिए भी पैसे नहीं थे। हर रोज पैसों के लेकर घर में लड़ाई-झगड़े होने लगे। हिमांशु के माता-पिता ने बड़ों का कोई फर्ज नहीं निभाया और उलटा जब भी घर आते तो बहू- बेटी से ही पैसे मांगते।
जब बात मार-पिटाई तक पहुंच गई तो रूपा ने हारकर अपने घरवालों को फोन कर सब कुछ बता दिया। बदले में रूपा के घरवाले पिघले और उन्होंने अपने जमाई को स्वीकार कर लिया और पैसों की भी बहुत मदद की। फिर क्या था, हिमांशु के हाथ तो जैसे सोने की मूर्गी लग गई, वो अपने सुसराल वालों से पैसों की और उम्मीद करने लगा। हद तो तब हो गई जब घर खरीदने में भी हिमांशु के घर वालों ने अपने खर्चे का रोना-रोकर महज 3 लाख की मदद की। हिमांशु रूपा के घरवालों से और मदद की उम्मीद करने लगा। वो कहता- 'क्या होगा वो मदद कर देंगे तो, बेटी का ही घर बस जाएगा'। इतना कुछ होने के बाद रूपा की आंखों से प्यार का पर्दा उठ चुका था। उसे समझ आ गया की उसने एक ऐसे लालची इंसान से शादी की है जो उससे नहीं पैसों से प्यार करता है। उसने उसे रिश्ते को तोड़ने में ही भलाई समझी। ऐसे में रूपा के घरवालों ने भी उसका साथ दिया और बेटी की भूल को माफ करते हुए उसे अपने साथ ले गए। आज रूपा अपनी गलती को भूलकर आगे नई जिंदगी की शुरूआत कर रही है।
नोट- ये एक काल्पनिक कहानी है। इसका वास्तविक से कोई लेना देना नहीं है।