कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को कई न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। रिकवरी के बाद भी कोरोना मरीजों में मांसपेशियों में दर्द, सांस लेने में दिक्कत के साथ ब्रेन हैमरेज, पैरालिसिस, पोस्ट कोविड या लॉन्ग कोविड की समस्याएं सामने आ रही हैं। वहीं, अब कोरोना मरीजों में रिकवरी के बाद ब्रेन ब्रेन फॉग (Brain Fog) की परेशानी देखने को मिली।
रिकवरी के बाद मरीजों में ब्रेन फॉग की समस्या
दरअसल, चिकित्सक दिमाग से जुड़ी दिक्कतों को ब्रेन फॉग (Brain Fog) यानी दिमाग का धुंधला होना मान रहे हैं। कोरोना से रिकवरी के बाद बहुत सारे ऐसे मामले सामने आए, जिनमें मरीजों का दिमाग भी ठीक से काम नहीं कर रहा था। हालांकि इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता कि ये परेशानियां कितने समय के लिए रहेगी।
दिमाग में बन रहे खून के थक्के
कोरोना मरीजों में ब्लड क्लॉट (Blood Clot) यानि दिमाग की नसों में खून के थक्के भी बन रहे हैं। ऐसे में वैज्ञानिक ब्रेन फॉग के लिए ब्लड क्लॉट को ही जिम्मेदार मान रहे हैं। इसके कारण पहले फेफड़ों व गले में सूजन की दिक्कत आती है उसके बाद खून गाढ़ा होने लगता है। मरीजों को पता भी नहीं चल पाता कि कब उनके शरीर में खून के थक्के जमने लगे हैं। रक्त वाहिकाओं में खून जमने के बाद परेशानियां शुरू हो जाती है।
रूक जाती है ब्लड सप्लाई
न्यूरोलॉजिस्ट के मुताबिक, खून का थक्का बनने के कारण ब्रेन की वाहिकाओं में ब्लड सप्लाई ठीक से नहीं हो पाती या रूक जाती है। इसकी वजह से ब्रेन का वो हिस्सा काम करना बंद कर देता है। इसके कारण मरीज को हैमरेज या पैरालिसिस अटैक भी आ सकता है। मेडिकल भाषा में इस स्थिति को ब्रेन इंफार्क्ट भी कहा जाता है।
ब्रेन फॉग के लक्षण
. सिर में तेज दर्द होना
. फोकस ना कर पाना
. किसी काम में ध्यान केंद्रित ना होना
. सोचने व समझने की शक्ति कमजोर होना
ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए डॉक्टर कुछ खास अभ्यास करने की सलाह दते हैं जैसे...
. ब्रेन एक्सरसाइज और योग
. मेडिटेशन यानी ध्यान लगाना
. ताजी हवा लेना
. ज्यादा पानी पीना
. ब्रेन गेम जैसे पजल या शतरंज खेलना आदि।
ध्यान रखें कि कोरोना से रिकवरी के बाद किसी भी तरह की दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि स्थिति को खराब होने से बचाया जा सकते क्योंकि जरा-सी भी लापरवाही आपकी समस्या बढ़ा सकती है।