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Anant Chaturdashi का व्रत देता है 14 साल तक शुभ फल, जानिए पूजा की विधि और महत्व

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 25 Sep, 2023 05:50 PM
Anant Chaturdashi का व्रत देता है 14 साल तक शुभ फल, जानिए पूजा की विधि और महत्व

हिंदू धर्म में त्योहारों का सीजन शुरु हो गया है। गणेश चतुर्थी से शुरुआत के बाद अब भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी में अनंत चतुर्थी के व्रत रखा जाएगा, जोकि 28 सितंबर को है। इसी दिन बप्पा की प्रतिमा का विसर्जन कर 10 दिन के गणेश उत्सव का समापन किया जाता है। यहां पर आपको बताते हैं अनंत चतुर्दशी के व्रत का महत्व और पूजा की विधि...

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अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्व

अनंत चतुर्थी व्रत करके विद्यार्थी जिस भी विषय में पढ़ाई करेंगे, उन्हें उस विषय में उत्तम फल प्राप्त होगा। वहीं धन की कामना करने वाले लोगों पर धन की बरसता होगी । अनंत चतुर्थी का विशेष फल प्राप्त करने के लिए चौदह सालों का अखण्ड व्रत करें।

अनंत चतुर्थी की पूजा विधि

- ज्योतिष एक्सपर्ट्स का कहना है कि कि अनंत चतुर्दशी पर स्नानादि करके "ममखिलपापक्षयपूर्वक शुभफलवर्द्धये श्रीमदनन्तप्रीतिकामनया अनन्तव्रत अहं करिष्ये ।। इस मंत्र जाप करते हुए व्रत का संकल्प लें। 

-  घर के पूजा स्थल को अच्छे से साफ करके सर्वतोभद्र मण्डल का निर्माण करें।

- धातु या मिट्टी से बने कलश पर अनंत स्वरूप भगवान श्री विष्णु की शेषनागमयी प्रतिमा स्थापित करें।

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- मूर्ति के समक्ष चौदह ग्रन्थि से युक्त रेशम या कच्चे सूत की डोर रखें।

- चौदह गाँठों में चौदह देवताओं का स्थान है इसलिए इस व्रत में चौदह ग्रंथि देवताओं का पूजन है। 

- "ॐ अनन्ताय नमः" का स्मरण करते हुए भगवान विष्णु और अनन्तसूत्र का षोडशोपचार पूजन करें।

- कथा सुनें. तिल, घी, खांड, मेवा एवं खीर इत्यादि से हवन करके यथासंभव गोदान, शय्यादान और अन्नदान का भी विधान है। 

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- इसके बाद केले के वृक्ष का भी पूजन करें. सामर्थ्य अनुसार चौदह ब्राह्मणों को भोजन कराकर अपना व्रत समाप्त करें, इस दिन नमक का सेवन न करें।

- पूजा करने  के बाद अनन्तसूत्र को पुरूष दाहिने और स्त्री बाएं भुजा पर बांध लें।

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