देश की आजादी के बाद जब पहली बार लोकासभा चुनाव करने का फैसला लिया गया तो मंत्री मडंल के स्दस्यों में राजकुमारी अमृता कौर भी एक थीं। भारतीय इतिहास में उनको बहुत सम्मान के साथ याद किया जाता है। वो भारत कि पहली महिला स्वास्ठय मंत्री भी रह चुकी हैं। एम्स जैसे बड़े अस्पताल का निर्माण उन्हीं ने किया है। आईए डालते हैं राजकुमारी अमृत कौर कि जिंदगी पर एक नजर।
राज घराने में जन्मी थीं अमृत कौर
उस वक्त राजनीति में ज्यादातर राजघरानों की महिलाएं ही भाग लिया करती थीं, और राजकुमारी अमृत उन्हीं में से एक थीं। 2 फरवरी 1889 को पंजाबी राजघराने में उनका जन्म हुआ। राजकुमारी के पिता हरमन सिंह कपूरथला पंजाब के राजा थे, लेकिन बाद में उन्होनें ईसाई धर्म अपना लिया था, इसके बावजूद भी उनके परिवार का रहन-सहन पंजाबियों वाला ही था।
आजादी की जंग में लिया था भाग
जब राजकुमारी अपनी पढ़ाई के लिए इंग्लैंड में थी, तब उनके साथ एक हादसा हुआ और उन्होनें देश की आजादी की लड़ाई में भाग लेने का मन बनाया। दरअसल इंग्लैंड की एक पार्टी में एक अंग्रेज ने राजकुमारी को साथ में डांस करने के लिए ऑफर किया। वहीं अमृत के मना करने पर अंग्रेज गुस्सा हो गया और भारतीयों को बेइज्जत करने लगा। ये देख राजकुमारी को बहुत ठेस पहुंची और उन्होनें भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करने का मन बनाया।
स्वतंत्रता सेनानी बनने से पहले गांधी जी ने ली थी परीक्षा
जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद जब महात्मा गांधी अमृतसर का दौरा करने के बाद जालंधर पहुंचे,वहां पर अमृत कौर की उनसे मुलाकात हुई ।उन्होंने उनके साथ जुड़ने की इच्छा जताई। गांधी जी जानते थे कि वह एक राजघराने से है, नाजों से पली-बढ़ी है। आंदोलन के साथ जुड़ना उनके लिए मुश्किल हो सकता है। गांधी जी उन्हें सेवाग्राम आश्रम ले आए और उन्हें आश्रम में रहने वाले हरिजन की सेवा करना, टायलेट साफ करने का काम दिया गया। पहनने के लिए खादी के कपड़े दिए गए। इस काम को अमृत कौर ने बहुत अच्छी तरह से निभाया और गांधी जी की परीक्षा में भी सफल हुईं।
शिमला में हाउस अरेस्ट रहीं
गांधी से जुड़ने के बाद वे आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने लगीं। उन्होंने सरोजनी नायडू के साथ मिलकर ऑल इंडिया वूमेन कांफ्रेंस और आई इंडिया वूमेन कांग्रेस की स्थापना की। साल 1942 में अंग्रेजों ने उन पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर जेल में डाल दिया। अंबाला जेल में रहने के दौरान उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई। अंग्रेजों ने उन्हें जेल से निकालकर शिमला के मैनोर्विल हवेली में तीन साल के लिए हाउस अरेस्ट कर दिया।
डॉक्टर नहीं बन पाई, मगर देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री बनीं
अमृत कौर के सात भाई थे। इनमें से एक आर्मी डॉक्टर थे। अमृत भी डॉक्टर बनना चाहती थीं लेकिन वे इसकी पढ़ाई नहीं कर सकीं। देश आजाद होने के बाद जब भारतीय सरकार का गठन हुआ तो उन्हें देश की पहली केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। एम्स की स्थापना का श्रेय उन्हीं ही जाता है। उस समय बजट नहीं था तो उन्होंने देश के बाहर के उद्योगपतियों से मदद की गुहार लगाई। पैसा मिला और एम्स की स्थापना हुई। एम्स में उनके नाम का ओपीडी ब्लॉक है। एम्स के डॉक्टरों के लिए उन्होंने अपना शिमला वाला घर गेस्ट हाउस दान में दिया था।