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रक्षाबंधन स्पेशल: जब हुमायूं को राखी भेज रानी कर्णावती ने मांगी थी मदद, पढ़िए पूरी कहानी

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 03 Aug, 2020 12:06 PM
रक्षाबंधन स्पेशल: जब हुमायूं को राखी भेज रानी कर्णावती ने मांगी थी मदद, पढ़िए पूरी कहानी

भाई-बहन के अटूट प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व आज धूम-धाम से मनाया जा रहा है। इस दिन बहनें भाई की कलाई में राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती है और अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। राखी की यह प्रथा सदियों से इसी तरह चलती आ रही है। राखी से बहुत सी कथाएं जुड़ी हुई है, जिसमें से एक है रानी कर्णवती और हुमायूं की। चलिए आपको बताते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी यह पौराणिक कथा।

जब रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेज मांगी थी मदद

कथाओं के मुताबिक, एक बाद बहादुर शाह ने चितौड़ पर हमला कर दिया था। उस समय राणा सांगा की विधवा रानी कर्णवती राज्य को संभाल रही थी। उनके पास इतनी सेना नहीं थी कि वो राज्य की रक्षा कर पाए। उस समय उन्होंने अपने मुंह बोले भाई हुमायूं को राखी भेज मदद मांगी थी। बता दें कि रानी कर्णवती हिंदू थी जबकि हुमायूं मुस्लिम था। बावजूद इसके उन्होंने राखी की लाज रखी और रानी कर्णवती की मदद के लिए आगे आए।

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रानी कर्णावती ने जौहर का लिया बदला

खबर मिलते ही हुमायूं ने चितौड़ का रुख किया लेकिन जब तक वह राज्य में पहुंचे रानी कर्णावती ने वीरांगनाओं के साथ जौहर (खुद को आग में जला लेना) कर चुकी थी। रानी कर्णावती के जौहर के बाद बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर अपना कब्जा कर लिया। खबर मिलने के बाद गुस्से से आग बबूला हो चुके हुमायूं ने रानी कर्णावती का बदला लेने के लिए चितौड़ पर हमला कर दिया।

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रानी कर्णावती के लिए जीता राज्य

बहादुर शाह के साथ युद्ध में हुमायूं विजयी रहा और उसने पूरा राज्य रानी कर्णवती के बेटे विक्रमजीत सिंह के हाथों में सौंप दिया। इसी के बाद से रानी कर्णवती और हुमायूं भाई-बहन का रिश्ता इतिहास के पन्नों में अमर हो गया।

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