कान्हा के ब्रज में सावन शुरू होते ही भक्ति रस की अनूठी गंगा का शुरू हुआ प्रवाह तेज होने लगा है।
द्वारकाधीश मन्दिर में तो सावन की शुरूआत से ही तरह तरह के आयोजन किये जाते है।
द्वारकाधीश मन्दिर में युगलस्वरूप को झूला झुलाने के लिए सोने चांदी के विशालकाय हिंडोले डाल दिए जाते हैं ।
सावन में द्वारकाधीश मन्दिर अलग अलग कलेवर में दिखाई पड़ता है।
सावन मांस का जीवन्त अनुभव कराने के लिए मन्दिर में घटा महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
जिस प्रकार से बादलों के रंग बदलते रहते हैं वैेसे ही मन्दिर में घंटाओं के रंग बदलते रहते हैं।