बेटियां, बेटों से कम नहीं, लोग यह अक्सर कहते हैं और यह सच कर दिखाया है रिटायर बहादुर विंग कमांडर अनुपमा जोशी ने। अनुपमा ना सिर्फ ऐसी प्रोफेशन का हिस्सा रहीं जो पुरुष प्रधान है ब्लकि भारतीय वायु सेना में पुरुषों के बराबर हक के लिए उन्होंनें 17 साल की लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी। जिसके बाद अब आखिरकार महिला अफसर भी सेना में परमानेंट कमीशन पा सकेंगी।
महिला वायुसेना के पहले बैच का थी हिस्सा
अनुपमा जोशी देश की उन महिला ऑफिसर्स में शुमार हैं, जिन्होंने 1993 में भारतीय एयरफोर्स ज्वाइन की थी। वायुसेना में महिला अधिकारियों का यह पहला बैच था। अनुपमा स्थायी कमीशन चाहती थीं, पर उन्हें टुकड़ों में एक्सटेंशन मिलता रहा, जिससे वो परेशान हो गईं। साल 2002 में उन्होंने इसके लिए अपने सीनियर अधिकारियों से लिखित में जवाब मांगा, लेकिन जवाब नहीं मिला। उन्होंने साल 2006 में स्थायी कमीशन को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की। 2008 में वह रिटायर हो गईं, लेकिन उनका संघर्ष जारी रहा। बाद में हाईकोर्ट ने महिला अफसरों के हक में फैसला दिया और महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने की नीति बनाई गई।
आपको बता दें कि अनुपमा को इस लड़ाई में अपने परिवार का पूरा सपोर्ट मिला। उनके पति अशोक शेट्टी भी वायुसेना से विंग कमांडर के पद से रिटायर हैं। वहीं बेटा अगस्त्य भी एक कमर्शियल पायलट है। अब रिटायरमेंट के बाद अनुपमा देश के प्रतिष्ठित 'द दून स्कूल' में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। साथ ही समाजसेवा के कार्यों से भी जुड़ी हुई हैं।