नारी डेस्क: धनतेरस हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस साल धनत्रयोदशी 29 अक्टूबर को पड़ रही है। शास्त्र अनुसार, इस दिन भगवान धन्वंतरि और कुबेर जी की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है, कि धन्वंतरि जी भगवान विष्णु के अवतार हैं। मान्यताओं के अनुसार, अगर इस दिन सच्चे दिल से विष्णु अवतारी धन्वंतरि और कुबेर पूजा की जाए, तो जीवन में स्वास्थ्य और धन संबंधी समस्याएं कभी परेशान नहीं करती है।
इसलिए मनाया जाता है धनतेरस का पर्व
शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिस तिथि को भगवान धन्वंतरि समुद्र से निकले, वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी। भगवान धन्वंतरि समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है। भगवान धन्वंतरि को विष्णु भगवान का अंश माना जाता है और इन्होंने ही पूरी दुनिया में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया। भगवान धन्वंतरि के बाद माता लक्ष्मी दो दिन बाद समुद्र से निकली थीं इसलिए उस दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इनकी पूजा-अर्चना करने से आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
1.स्नान और शुद्धता: इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करना चाहिए।
2.पूजा सामग्री: पूजा के लिए एक थाल में दीपक, फूल, मिठाई, चढ़ावा और सोने-चांदी के बर्तन रखें।
3.माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा: लक्ष्मी जी और कुबेर जी की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीप जलाएं और उनकी आरती करें।
4.धन्वंतरि की पूजा: इस दिन भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है। उन्हें औषधियों और नंदनी व्रत का भोग अर्पित किया जाता है।\
खरीदारी के लिए उपयुक्त चीजें
1.सोना और चांदी: इस दिन सोने या चांदी के आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है।
2.बर्तन: बर्तन खरीदना भी इस दिन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। खासकर, स्टील, पीतल या तांबे के बर्तन।
3.ऑटोमोबाइल: नई कार या बाइक की खरीदारी भी इस दिन की जाती है।
उपहार और शुभकामनाएं
धनतेरस पर लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और उपहार देते हैं। परिवार के सदस्यों के लिए विशेष व्यंजन बनाना भी एक परंपरा है।