आयुर्वेदिक आहार खाने का एक ऐसा पैटर्न है जो हजारों वर्षों से चला आ रहा है। यह डाइट शरीर के दोष और ऊर्जा को संतुलित करती है, जिसे स्वास्थ्य में सुधार आता है। यह न केवल शरीर बल्कि दिमाग को स्वस्थ रखने में भी मददगार है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है आयुर्वेदिक डाइट और इसके फायदे...
क्या है आयुर्वेद डाइट?
आयुर्वेद के अनुसार, पांच तत्व ब्रह्मांड बनाते हैं - वायु, जल, आकाश (अंतरिक्ष), अग्नि और पृथ्वी (पृथ्वी)। इन तत्वों को तीन अलग-अलग दोशाओं के रूप में माना जाता है, जो शरीर के भीतर फैली ऊर्जा को कंट्रोल करते हैं। आयुर्वेद में भोजन को स्वास्थ्य का प्रमुख तत्व माना जाता है, जो शरीर को पोषण देकर कई बीमारियों का खतरा घटाता है।
कैसे करती है काम?
शरीर में कोई भी बीमारी तीन तत्व वायु, पित्त और कफ के अनियंत्रित होने पर होती है, जिसे दोष कहा जाता है।
1. पित्त (अग्नि + जल): पित्त की अधिकता होने पर आमतौर पर अपच, हृदय रोग, सूजन या उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं हो सकती है।
2. वात (वायु + स्थान): इस दोष वाले लोग आमतौर पर पाचन संबंधी समस्याओं, चक्कर आना, थकान या तनाव से जूझ सकते हैं।
3. कफ (पृथ्वी + पानी): इस दोष वाले लोगों में अक्सर वजन बढ़ने, अस्थमा, अवसाद, बलगम ज्यादा बनना या डायबिटीज जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
आयुर्वेदिक डाइट लेने के फायदे
. फाइबर, विटामिन्स और खनिज से भरपूर यह डाइट हृदय रोग, कैंसर, तनाव, बल्ड प्रैशर, लिवर व किडनी प्रॉब्लम्स को दूर रखने में मदद करती है।
. वजन घटाने के लिए भी यह एक आदर्श डाइट है। शोध के मुताबिक, 3 से 9 महीने पूरे दिशा-निर्देश से आयुर्वेदिक डाइट लेने से 6 कि.लो. तक वजन कम किया जा सकता है।
. यह डाइट माइंडफुलनेस को बढ़ावा देता है, जिससे तनाव, डिप्रेशन, एंग्जायटी और अन्य मानसिक समस्याएं दूर रहती हैं।
शरीर की जरूरतों के अनुसार लें डाइट
हर व्यक्ति की शारीरिक जरूरतें अलग-अलग होती है इसलिए आपको उन्हीं अनुसार डाइट लेनी चाहिए। शरीर को जिन तत्वों की जरूरत हो, उन्हीं को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।
पित्त
प्रोटीन के लिए चिकन, एग व्हाइट, टोफू, दूध, घी, मक्खन खाएं। इसके अलावा फलों में संतरे, नाशपाती, अनानास, केले, खरबूजे, आम और सब्जियों में गोभी, फूलगोभी, अजवाइन, खीरा, तोरी, पत्तेदार साग, शकरकंद, गाजर, स्क्वैश और ब्रसेल्स स्प्राउट्स सें। छोले, दाल, मूंग, ब्लैक बीन्स, राजमा, जौ, जई, बासमती चावल, गेहूं, कद्दू के बीज, सन बीज, सूरजमुखी के बीज, नारियल, काली मिर्च, जीरा, दालचीनी, सीताफल, हल्दी को भी डाइट में शामिल करें।
वात
वात दोष को नियंत्रित रखने के लिए टोफू, दूध, मक्खन, दही, पनीर, घी, केला, ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, आम, आड़ू, आलूबुखारा, चकुंदर, शकरकंद, प्याज, मूली, शलजम, गाजर, हरी बीन्स, छोले, दाल, मूंग, ओट्स और चावल खाएं। इसके अलावा डाइट में बादाम, अखरोट, पिस्ता, चिया बीज, इलायची, अदरक, जीरा, तुलसी, लौंग, अजवायन, अजवायन और काली मिर्च शामिल करें।
कफ
चिकन, एग व्हाइट, स्किम मिल्क, बकरी का दूध, सोया मिल्क, ताजे मौसमी फल, किशमिश, अंजीर,हरी पत्तेदार सब्जियां, शतावरी, मशरूम, काले सेम, छोले, दाल, जई, राई, जौ, मक्का, बाजरा, कद्दू के बीज, सुखे मेवे, जीरा, काली मिर्च, हल्दी, अदरक, दालचीनी, तुलसी, अजवायन आदि लें।
इन चीजों से रखें परहेज
1. पित्त: रेड मीट, सी फूड्स, अंडे की जर्दी, खट्टी क्रीम, पनीर, छाछ खट्टे या अप्रीतिकर फल, मिर्च मिर्च, बीट, टमाटर, प्याज, बैंगन, ब्राउन राइस, बाजरा, मक्का, राई, बादाम, काजू, मूंगफली, पाइन नट, पिस्ता, अखरोट, तिल आदि।
2. वात: रेड मीट, सुखे फल जैसे किशमिश, क्रेनबेरी, अनार, नाशपाती, कच्ची सब्जियां, ब्लैक बीन्स, नेवी बीन्स, जौ, राई, गेहूं, मक्का, क्विनोआ, बाजरा, कड़वे या कसैले जड़ी बूटियां आदि।
3. कफ: रेड मीट, झींगा, अंडे की जर्दी, केला, नारियल, आम, ताजा अंजीर, शकरकंद, टमाटर, तोरी, खीरा, सोयाबीन, राजमा, चावल, गेहूं, अनाज, काजू, पाइन नट्स, ब्राजील नट्स, तिल के बीज, अखरोट आदि