कंसीव करने के बाद प्रेगनेंसी के पहले महीने से ही महिलाओं में स्तनों में संवेदनशीलता, स्वभाव में बदलाव, थकान, खाने की आदतों में बदलाव और मॉर्निंग सिकनेस जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। मगर, कई बार बार लक्षण दिखाई नहीं देते और सोनोग्राफी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। ऐसे में यह एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy) हो सकती है। शोध के अनुसार, हर 50 में से एक महिला को एक्टोपिक प्रेगनेंसी जरूर होती है।
क्या होती है एक्टॉपिक प्रेगनेंसी?
एक्टोपिक प्रेगनेंसी वो स्थिति है, जिसमें फर्टिलाइज एग गर्भाशय की बजाए फैलोपियन ट्यूब, एब्डोमिनल कैविटी या गर्भाशय ग्रीवा से जुड़ जाता है। इसे अस्थानिक गर्भावस्था भी कहते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज ना करवाया जाए तो नॉर्मल प्रेगनेंसी के चांसेज कम हो जाते हैं। साथ ही इससे मां की जान को भी खतरा रहता है।
इलाज करवाना बहुत जरूरी
ट्यूब में प्रेगनेंसी होना ठीक नहीं है क्योंकि वो बहुत नाजुक व पतली होती है। ऐसे में अगर तुरंत इलाज न करवाया जाए तो ट्यूब फट सकती है, जिससे हैवी ब्लीडिंग हो सकती है। वहीं, समज पर इलाज ना करवाने पर जान जाने का खतरा भी रहता है। इसके लिए लेप्रोस्कोपी (की होल सर्जरी) द्वारा ट्यूब को हटाया जाता है।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण
यह समस्या शुरुआती हफ्तों में होती है, जिससे आपको प्रेग्नेंट होने का भी पता नहीं चल पाता। आमतौर पर गर्भावस्था के 4 और 10वें हफ्ते तक इसका पता चल जाता है, जिसमें...
. हल्की ब्लीडिंग होना
. पेल्विक हिस्से में दर्द
. पेट खराब होना और उल्टी
. पेट में तेज ऐंठन होना
. शरीर के एक हिस्से में दर्द
. चक्कर आना या कमजोरी
. कंधे, गर्दन या गुदा में दर्द जैसे लक्षण दिखते हैं।
क्यों होती है एक्टोपिक प्रेगनेंसी?
. फैलोपियन ट्यूब में सूजन या चोट लगना
. 35 से अधिक उम्र में प्रेगनेंसी
. हार्मोनल असंतुलन
. पेल्विक इंफ्लामेट्री डिजीज
. शराब, धूम्रपान का अधिक सेवन
. यौन संक्रमित रोग
. पेल्विक सर्जरी के कारण स्कार टिश्यू बनना
. फर्टिलिटी दवाओं का सेवन
. आईवीएफ जैसी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट लेना
. एपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ हो
. इसके अलावा गर्भ निरोधक इंट्रायूट्राइन डिवाइस लगवाने के बाद कंसीव करने से भी ऐसा हो सकता है।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का निदान
. अल्ट्रासाउंड द्वारा स्थिति की जांच करते हैं और महिला का प्रेगमेंसी टेस्ट या पल्विक एग्जाम भी करवाया जाता है। क्योंकि फर्टिलाइज एग गर्भाशय के बाहर जिंदा नहीं रह सकता इसलिए डॉक्टर दवा या सर्जरी की मदद से एग को बाहर निकाल देते हैं।
. इसके अलावा फैलोपियन ट्यूब क्षतिग्रस्त ना हुई हो और प्रेगनेंसी को कम समय हुआ हो तो डॉक्टर मेथोट्रेजाट भी दे सकते हैं। ये कोशिकाओं को विकसित नहीं होने देती और शरीर इन्हें अवशोषित भी कर लेता है।
. अगर फैलोपियन ट्यूब किसी कारण क्षतिग्रस्त हो जाए तो डॉक्टर उसे निकलवाने की सलाह देते हैं।
. ज्यादा ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर फैलोपियन ट्यबू हटाने के लिए तुरंत सर्जरी करते हैं, जिसे लैप्रोटोमी कहा जाता है।
याद रखें बचाव के ये टिप्स
. एक से अधिक लोगों से संबंध ना बनाएं
. सुरक्षित यौन संबंध बनाना
. सिगरेट, शराब से दूर रहें
. ज्यादा भारी चीजें ना उठाएं
. सर्जरी के पहले जितना हो सके आराम करें
. खुद को एक्टिव रखने के लिए हल्के-फुल्के काम करें
. इसके अलावा हैल्दी डाइट लें और अधिक से अधिक पानी पीएं।
क्या सर्जरी के बाद दोबारा बन सकती हैं मां?
एक्टोपिक प्रेगनेंसी की सर्जरी से घबराने की जरूरत नहीं क्योंकि एक स्वस्थ महिला के शरीर में 2 फैलोपियन ट्यूब होते हैं। ऐसे में अगर एक किसी वजह से निकालना पड़े तो वह दूसरी ट्यूब के जरिए एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। अगर किसी कारण दोनों ट्यूब नष्ट हो जाए तो आप IVF जैसी तकनीक का सहारा ले सकती हैं।