जब भी हम नया घर लेते है तो कई तरह की बातों का ध्यान रखते हैं। लेकिन फिर भी हमसे कुछ न कुछ गलतियां हो जाती है। जैसे कि घर बनवाते समय जल का निकास किस तरफ होगा, इस पर इतना तवज्जो नहीं देते हैं। जबकि वास्तुशास्त्र की मानें तो हमें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि घर में पानी का निकास किस दिशा में हो रहा है क्योंकि जिस घर के पानी का निकास वास्तुशास्त्र के अनुसार नहीं होता, उस घर में वास्तुदोष होता है। नहाते समय, कपड़े धोते समय या बर्तन धोने के दौरान यदि पानी गलत दिशा से निकल रहा है तो उसका प्रभाव परिवार के सदस्यों पर बुरा असर पड़ सकता है।
वास्तु के कुछ नियम
1 जिस घर में पानी सही स्थान पर होता है ऐसे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
2 जिस घर का प्रवेश द्वार विपरीत दिशा में है तो उस घर में वास्तु दोष हो सकता है।
3 जूते के रैक और कूड़ेदान को अपने घर के मुख्य दरवाजे या प्रवेश द्वार के पास न रखें।
4 घर बनाते समय, प्रवेश द्वार के पास बाथरूम न बनाएं।
सजावट की वस्तुओं को प्रवेश द्वार के पास न रखें
1 घर के मुख्य द्वार को काला रंग ना करें।
2 जानवरों की मूर्तियां और उसी की सजावट की वस्तुओं को प्रवेश द्वार के पास न रखें।
3 शाम के समय लाइट को हमेशा ऑन रखे और रात को सोते लो-वोल्टेज नाइट का बल्ब चलाए।
4 वास्तु कहना है कि भूखंड की दक्षिण दीक्षा में जलीय व्यवस्था है तो स्त्री को कष्ट होगा।
5 पानी का बर्तन रसोई के उत्तर-पूर्व या पूर्व में भरकर रखें।
6 नहाने का कमरा पूर्व दिशा में शुभ होता है।
7 जलीय व्यवस्था पश्चिम भाग में है तो आपको पुत्र का सुख मिलेगा।