थायराइड मरीजों की गिनती दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, जिसकी सबसे अधिक शिकार महिलाएं हैं। शोध की मानें तो पुरूषों की मुकाबले में महिलाओं को इसका खतरा 9 गुना ज्यादा होती है, जिसका कारण कहीं ना कहीं बिगड़ता लाइफस्टाइल और खान-पान की गलत आदतें ही है। हालांकि थायाइड हो जाए तो दवाओं के अलावा हैल्दी डाइट व एक्सरसाइज से इस बीमारी को काबू किया जाता है। इसके अलावा कुछ ऐसे आयुर्वेदिक उपचार भी हैं जो थायराइड को कंट्रोल करने में मददगार साबित होते हैं, उन्हीं में से एक है तुलसी का देसी नुस्खा।
सबसे पहले जानिए थायराइड के लक्षण
सबसे पहले तो लक्षण जानकर बीमारी को पकड़े और उसके बाद ही कोई बी इलाज करें क्योंकि 30% भारतीय महिलाएं तो ऐसी हं, जो अपनी इस बीमारी से लंबे समय अंजान रहती है, जिसके कारण इसे कंट्रोल करना लगभग मुश्किल हो जाता है।
. वजन का लगातार बढ़ना
. वजन का लगातार कम होना
. गले में सूजन होना
. हृदय गति में बदलाव होना
. मूड स्विंग होना
. बालों का झड़ना
थायराइड में तुलसी का उपयोग
तुलसी थायराइड के मरीजों के लिए काफी कारगार उपाय है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-फंगल, एंटी-वायरल, एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो थायराइड के लक्षणों को कम करते हैं। साथ ही इसमें विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन, मैलिक एसिड भी होता है।
थायराइड में कैसे करें तुलसी का सेवन?
1. तुलसी की ताजी पत्तियों को धोकर अच्छी तरह साफ कर लें। इनका रस निकालें और 2 चम्मच रस में 1/2 चम्मच एलोवेरा जूस मिलाकर पीएं। नियमित ऐसा करने से थायराइड कंट्रोल में रहेगा।
2. थायराइड को कंट्रोल करने के लिए दिन में 2 बार तुलसी की चाय बनाकर पीएं लेकिन बिना दूध वाली।
3. सुबह खाली पेट 2-3 तुलसी की पत्तियां खाने की आदत डालें।
हाइपोथायरायडिज्म के मरीज ना करें सेवन
बता दें कि हार्मोन असंतुलित में दो तरह का थायराइड होता है हाइपो थायराइड और हाइपर थायराइड। अगर आप हाइपो थायराइड हो तो शरीर मोटापे का शिकार होने लगता है और नींद ज्यादा आती है। जबकि हाइपर में शरीर सूख जाता है। साथ ही धड़कन बढ़ना, जोड़ों में दर्द और नींद कम ना आने जैसे लश्रण दिखते हैं।
हाइपोथायरायडिज्म वाले लोगों में थायरोक्सिन नामक थायराइड हार्मोन का स्तर कम होता है और तुलसी थायरोक्सिन के स्तर को कम करती है। ऐसे में हाइपोथायरायडिज्म के मरीज तुलसी का सेवन ना करें।