05 NOVTUESDAY2024 12:02:16 AM
Nari

35 साल पहले इस महिला ने भारत में ढूंढा था जानलेवा HIV AIDS का पहला केस

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 01 Dec, 2021 04:55 PM
35 साल पहले इस महिला ने भारत में ढूंढा था जानलेवा  HIV AIDS का पहला केस

हर साल की तरह इस बार भी  1 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय एड्स दिवस मनाया जा रहा है।  एड्स यानी एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम और एचआईवी यानी मानव इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस महामारी के खिलाफ लोगों को जागरुक करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है, लेकिन क्या आपको यह मालूम है कि भारत में इस बीमारी का पहला मामला कब सामने आया था और इस सामने लाने वाली कौन थी। 

1986 में आया था पहला मामला 

भारत में साल 1986 में एड्स का पहला मामला सामने आया था। इसके पीछे डॉ.सुनीति सोलोमन और उनकी छात्रा डॉ.सेल्लप्पन निर्मला का योगदान था। चेन्नई के मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायलॉजी की स्टूडेंट रहीं निर्मला को वैसे तो इस बीमारी के बारे में खास जानकारी नहीं थी लेकिन उन्होने अपनी  प्रोफेसर सुनीति को रिसर्च के लिए यह टॉपिक दिया था। 


सेक्स वर्करों की हुई जांच

निर्मला ने चेन्नई, तमिलनाडु की महिला सेक्स वर्करों के खून का नमूना इकट्ठा किया और उसकी जांच की। हालांकि उस समय उन्हे कई मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। क्योंकि उन्हे सेक्स वकर्स का ब्लड सैंपल इकट्ठा करना था लेकिन वह ऐसी महिलाओं तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं जानती थी। 

 

घर के फ्रीज में रखे गए सैंपल 

सैंपल जुटाने के लिए निर्मला सबसे पहले मद्रास जनरल अस्पताल पहुंचीं। यहां इलाज के लिए सेक्स वकर्स से उन्होंने बात की और उनका ठिकाना पूछा। वहां जाकर उन्होंने करीब 80 लोगों के ब्लड सैंपल लिए। सेक्स वर्कर्स को भी नहीं मालूम था कि उनका ब्लड सैम्पल क्यों लिया जा रहा है। निर्मला और उनकी प्रोफेसर सोलोमन ने ब्लड सैम्पल्स से सीरम को अलग किया। उस दौर में स्टोर फैसिलिटी न होने पर सैम्पल्स को घर की फ्रीज में ही स्टोर किया।


अमेरिका में की गई जांच 

 प्रोफेसर सोलोमन ने सैम्पल को चेन्नई से 200 किमी दूर वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज भेजा। 1986 में निर्मला और उनके पति ने सैम्पल्स को एक आइसबॉक्स में रखा और रातभर ट्रेन का सफर करके काटापाड़ी पहुंचे। यहां टेस्टिंग का काम शुरू किया गया। सैंपल्स के पीले पड़ जाने पर निर्मला चेन्नई लौंटी और उन्होंने दोबारा उन 6 सेक्स वकर्स के ब्लड सैंपल लिए जिनकी उन्होंने जांच करवाई थी। इन सैंपल्स की टेस्टिंग के लिए वो अमेरिका गईं। यहां सभी रिपोर्ट पॉजिटिव आईं। 


एड्स के बारे में मानने को तैयार नहीं थे लोग

निर्मला ने इसकी रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी। मई में स्वास्थ्य मंत्री ने इस बुरी खबर की घोषणा विधानसभा में की थी, लेकिन लोग उस समय ये बात मानने काे तैयार नहीं थे। किसी ने इसकी जांच पर सवाल उठाए, तो किसी ने कहा कि डॉक्टरों से कोई ग़लती हुई है।  इसके बाद अगले कुछ ही सालों में एड्स भारत में बड़ी बीमारी के रूप में फैलने वाला संक्रमण पाया गया।

 

भारत में एसआईवी के बढ़ गए थे मामले

कई साल तक भारत में एसआईवी संक्रमित लोगों की संख्या दुनिया मे सबसे ज़्यादा मानी जाती थी, जो क़रीब 52 लाख बताई जाती थी, लेकिन 2006 में आए नए आंकड़ों में यह संख्या इसकी आधी बताई गई है। 
 

Related News