कोरोना के कहर के बीच अब लोगों में ब्लैक फंगस का डर सता रहा है। ये क्यों होता है कैसे होता है इस बारे में लोगों मे अभी बहुत जागरुकता की कमी है लोगों को लगता है कि अगर उनकी आंख में दर्द है या सूजन है तो यह ब्लैक फंगस का संकेत हैं जबकि ऐसा नहीं है इस बारे में आई स्पैशलिस्ट डाक्टर अवनि सिंगला ने कुछ अहम जानकारी लोगों के साथ साझा की है जो इस तरह है...
बता दें कि ब्लैक फंगस यानि म्यूकॉरमायकोसिसक के आम लक्षणों में
नाक का बंद हो जाना
नाक की ऊपरी परत पर पपड़ी जम जाना
नाक की स्किन काली पड़ जाना
आंखों में दर्द और धुंधला दिखाई देना
होंठों और नाक के बीच के हिस्से में सूजन लालगी सुन्नपन होना
अचानक से क्यों बढ़ रहे हैं ब्लैक फंगस के मामले ?
इस बीमारी के एक दम बढ़ने का कारण स्टेरॉयड का अधिक इस्तेमाल, मरीज को लंबे समय तक गंदी आक्सीजन देना जैसे ऑक्सीजन सप्लाई के वक्त साफ सफाई का ध्यान ना रखना या जिन सिलेंडर में आक्सीजन भरा जाता है वह साफ ना होना। ऑक्सीजन कंटेनर का पानी स्टेरलाइज्ड ना करने पर ब्लैक फंगस की संभावना बढ़ जाती है। डायबिटीज के मरीज या जो लोग ICU में लंबे समय तक रहते हैं, ट्रांसप्लांट के बाद जिन्हें दिक्कत होती है और कैंसर के मरीजों मे इसकी होने की संभावना बढ़ जाती है।
अगर ब्लैक फंगस इंफैक्शन बढ़ जाए तो?
यह संक्रमण अगर कोरोना पेशेंट को बहुत ज्यादा प्रभावित कर दे तो फेफड़े व दिमाग को बुरी तरह नुकसान पहुंचा सकता है। सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द और फेफड़ों में पानी भरने समस्या ज्यादा होने लगती है. इसके अलावा बुखार सिर दर्द, खांसी, खून की उल्टी आदी भी हो सकती है। इसलिए इस बात के लिए घबराए नहीं कि आप कोरोना संक्रमित है तो आपको ब्लैक फंगस जैसी समस्या का सामना करना पड़ेगा। अगर कोई लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टरी जांच करवाएं।
इसका इलाज क्या है?
.सबसे बड़ा इलाज, ऑक्सीजन की क्वालिटी पर ध्यान दिया जाए।
.ऑक्सीजन डिलीवरी से पहले ह्यूमिडिफिकेश के लिए बार-बार स्टेरलाइज्ड और डिस्टिल्ड वॉटर का ही इस्तेमाल किया जाए।
.कंटेनर के सभी डिस्पोजेबल हिस्से को बार-बार बदलना चाहिए।
.स्टेरॉयड का इस्तेमाल बहुत कम करना चाहिए।
.डिस्चार्ज होने के बाद कोरोना के मरीजों को अपना शुगर लेवल चेक करते रहना चाहिए।
. फफूंदी लगे बैड फल तुंरत किचन व घर से हटा दें।