एक नए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि रात को 6 घंटे से कम नींद लेने वाले कॉलेज के स्टूडेंटस ने अपने जीपीए (GPA) के स्कोर में भारी गिरवाट देखी। शोध में ये कहा गया है कि' हर एक घंटे की नींद गंवाने पर .07 तक की स्कोर में गिरावाट दिखी'। अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन (American Academy of Sleep Medicine) का कहना है कि कॉलेज के बच्चों को हर रात 7 कम से कम घंटे सोने का लक्ष्य रखना चाहिए।
अध्ययन के लेखक जे. डेविड क्रिसवेल ने कहा, 'फर्स्ट ईयर के कॉलेज स्टूडेंट्स हर रात लगभग 6.5 घंटे सोते हैं, जो कि इन एडल्ट्स की बेहतर सेहत के लिहाज से काफी कम है। इस चीज का असर इनकी एकेडमिक परफॉर्मेंस (academic performance) पर पड़ता है। ये कहना है पिट्सबर्ग में कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर जे डेविड क्रेसवेल का।
प्रोफेसर आगे पूछते है 'आखिर कौन उनकी नींद को लूट रहा है? इस बात की सूची लंबी है'।
क्रेसवेल कहते है, ''फर्स्ट ईयर के कॉलेज स्टूडेंट्स रात को सो कर बरबाद नहीं करना चाहते, ज्यादार स्टूडेंट्स पढ़ाई करने के इरादे से तो कुछ नई दोस्ती करने से मकसद से नींद कम लेते हैं। ये चुनौतियां अक्सर कॉलेज कॅम्पस में स्टूडेंट्स के पास भरपूर नींद लेना का कम ही समय छोड़ती हैं। वहीं वो आगे कहते हैं कि स्टूडेंट्स को अपनी नींद को प्राथमिकता देना सीखना चाहिए।
प्रोफेसर क्रेसवेल कहते हैं,' इस तरह के शोध से पता चलता है कि आपकी रात की नींद कम करने से एकेडमिक परफॉर्मेंस अच्छे होने की जगह खराब हो रहा है तो उम्मीद है कि स्टूडेंट्स अब अच्छी लंबी नींद का महत्व को समझेगें। '
शोध के लिए तीन अमेरिकी विश्वविद्यालयों में 600 से ज्यादा कॉलेज के फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स ने पांच अध्ययनों में भाग लिया। उन्होनें अपनी नींद को ट्रैक करने के लिए घड़ी जैसी डिवाइस पहनी थी। औसतन, स्टूडेंट्स ने एक हफ्ते के दौरान 6 घंटे और 29 मिनट की नींद ली और हफ्ते के अंत में 29 मिनट की और नींद ली। शोध में पाया गया कि छात्रों का औसत सोने का समय 2:01 बजे था और वो लगभग 9:17 बजे जाग गए।
इस शोध का निष्कर्ष 13 फरवरी को विज्ञान की राष्ट्रीय अकादमियों की कार्यवाही में प्रकाशित किए गए थे। नींद के विशेषज्ञ डॉ राज दासगुप्ता ने कहा, "शोध सामान्य रूप से कॉलेज के स्टूडेंट्स को बस इस बात को लेकर जागरुक करना है कि नींद बहुत जरुरी है, और नींद की कमी जीपीए पर भारी पड़ सकती है।" आपको बता दें डॉ दासगुप्ता यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया के केके स्कूल ऑफ मेडिससिन में क्लिनिकल मेडिसिन प्रोफेसर हैं।