पहले समय में महिलाओं को इतनी हक नहीं मिलते थे। लेकिन फिर भी उस दौरान कुछ ऐसी महिलाएं थी जिन्होंने पूरे भारत में महिलाओं की स्थिति को सुधारने में भी मदद की, उन्हीं में से एक थी विजय लक्ष्मी पंडित। विजय लक्ष्मी पंडित भारतीय राजनीति में पद पाने वाली पहली महिला थी। वह कोई और नहीं बल्कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की बहन थी। आज आपको बताते हैं कि कैसे विजय लक्ष्मी पंडित ने राजनीति में कदम रखा था।
स्वतंत्रता आंदोलन में निभाई थी मुख्य भूमिका
विजय लक्ष्मी पंडित ओर कोई नहीं बल्कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की बहन थी। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई थी। उनका जन्म 18 अगस्त 1900 नेहरु परिवार में हुई थी। लक्ष्मी ने अपनी शिक्षा दीक्षा घर में पूरी की। इसके बाद साल 1921 में लक्ष्मी ने प्रसिद्ध वकील रणजीत सीताराम पंडित से शादी की थी। उनके पति ने भी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिए और 1944 में जेल में उनका देहांत हो गया था।
1937 में मिला था मंत्री का पद
साल 1937 में देश अंग्रेजों के अधीन था, लेकिन इस दौरान विजय लक्ष्मी पंडित गुलाम भारत में मंत्री पद पानी वाली पहली भारतीय महिला बनी थी। इस दौरान उन्हें सबसे पहले मंत्री का पद मिला था।
राजनीति में थी दिलचस्पी
विजय लक्ष्मी पंडित को राजनीति में पहले सी ही दिलचस्पी थी उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में गांधीजी से प्रभावित होकर राजनीति में भाग लेना शुरु किया। आजादी आंदोलन में भाग लेते हुए 1932-33,1940 और 1942-43 में जेल भी गई थी।
संयुक्त राष्ट्र में मिली थी विशेष उपलब्धि
विजयलक्ष्मी पंडित को ज्यादा लोकप्रियता संयुक्त राष्ट्र में मिली ती। 1946 से लेकर 1968 के दौरान उन्होंने समय-समय पर संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की और 1953 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष होने का गौरब भी प्राप्त हुआ था। इसके बाद 1978 में विजयलक्ष्मी ने संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार आयोग में भारत का भी प्रतिनिधित्व किया था।
1990 में हुआ था विजय लक्ष्मी का देहांत
1962 से लेकर 1964 तक भारत के महाराष्ट्र की राज्यपाल रही। इसके बाद 1968 में उन्हें फूलपुर में लोकसभा का सदस्य चुन लिया गया था। आपातकाल के समय उन्होंने इंदिरा गांधी की बहुत आलोचना की और उन्हें हराने के लिए भारतीय जनता पार्टी का समर्थन भी किया था। 1977 में उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी के लिए भी कई प्रयास और प्रचार किए लेकिन इस समय संजीव रेड्डी को सर्वसम्मति को राष्ट्रपति के लिए चुन लिया गया था। 1 दिसंबर 1990 में विजय लक्ष्मी का देहांत हो गया था।