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World Stroke Day: सर्दियों में स्ट्रोक बन न जाए जानलेवा, ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 29 Oct, 2020 11:17 AM
World Stroke Day: सर्दियों में स्ट्रोक बन न जाए जानलेवा, ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान

हर साल 29 अक्टूबर के दिन विश्व स्ट्रोक दिवस सेलिब्रेट किया जाता है ताकि लोगों को ज्यादा से ज्यादा इस बीमारी के बारे में जागरूक किया जा सके। गलत लाइफस्टाइल के चलते आज हर 10 में से 6वां व्यक्ति इसकी गिरफत में हैं। सर्दियों में तो इसकी संभावना और भी बढ़ जाती है इसलिए बीमारी से बचाव रखना बहुत जरूरी है।

सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है स्ट्रोक का खतरा?

सर्दियों में स्ट्रोक का खतरा 30% तक बढ़ जाती हैं क्योंकि इस दौरान वायु बहुत अधिक प्रदूषित होती है। वहीं, सर्दियों में व्यायाम की कमी और हाई ब्लड प्रैशर भी इसकी वजह बनते हैं। इसके अलावा सर्दियों में खून गाढ़ा और रक्त कोशिकाएं संकरी हो जाती है, जिससे उनपर दबाव पड़ता है और स्ट्रोक का खतरा पैदा होता है।

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कितनी तरह के होते हैं स्ट्रोक?

स्ट्रोक के तीन मुख्य प्रकार हैं- Ischemic (इस्कीमिक), Hemorrhagic (रक्तस्रावी) और Transient ischemic attack (क्षणिक इस्कीमिक अटैक)

. भारत में सबसे 87% मामले इस्कीमिक के पाए जाते हैं, जो मस्तिष्क की धमनियों में खून रूक जाने या खून का थक्का बनने की वजह से होता है। 

. हेमोरेजिक स्ट्रोक मस्तिष्क की धमनी से खून लीक होने की वजह से होता है। इसमें मस्तिष्क की कोशिकाओं पर अधिक दबाव पड़त है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर से भरी धमनियां फट जाती है और स्ट्रोक की स्थिति पैदा होती है।

. ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक (TIA) को "मिनी-स्ट्रोक" भी कहते हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर के कारण होता है। इसमें मस्तिष्क में खून का फ्लो कम से कम 5 मिनट के लिए रूप जाता है, जो किसी बड़े खतरे का संकेत भी होता है।

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इन्हें बचाव की अधिक जरूरत

. हाई ब्लड प्रैशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, एनिमिया या माइग्रेन और डायबिटीज के मरीज
. 55 साल से अधिक उम्र के लोग
. जिनकी फिजिकल एक्टिविटी ना के बराबर हो
. जन्मजात रक्तवाहिनी रोगी को
. जो धूम्रपान, शराब का सेवन अधिक करते हो
. मोटे और सुस्त लोगों को
. इसके अलावा गर्भनिरोधक दवाएं का अधिक सेवन करने वाली महिलाओं को इसका अधिक खतरा होता है।

ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान

. शरीर के किसी एक ओर के हिस्से में कमजोरी
. लकवा जैसी स्थिति होना
. हाथ व पैर भी ना हिला पाना
. बोलने में दिक्कत
. एकदम से कम सुनाई देना
. अचानक धुंधला दिखाई देना
. सिर में तेज दर्द
. अचानक चक्कर आना

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स्ट्रोक आने पर क्या करें?

अगर सही समय पर स्ट्रोक के लक्षण पहचाकर सही इलाज करवाया जाए तो मरीज को विकलांगता या किसी बड़े खतरे से बचाया जा सकता है। साथ ही मरीज को उसी हॉस्पिटल में ले जाए जहां 24 गुना 7 सीटी स्कैन, एमआरआई की सुविधा हो।

अब जानिए स्ट्रोक से बचाव के उपाय

. सर्दियों में अधिक मात्रा में पानी और तरल पदार्थ पीएं। साथ ही दिन में 3-4 बार गुनगुना पानी भी पीएं।
. शराब और धूम्रपान भी इसका खतरा बढ़ाते हैं इसलिए इन्हें फौरन छोड़ दें।
. जितना हो सके तनाव से दूर रहें और खुद को पॉजिटिव रखें।
. नियमित व्यायाम करें। साथ ही फिजिकल एक्टिविटी भी करते रहें। धूप में टहलें या घर के अंदर ही योग आदि करें।
. मोटापे पर कंट्रोल रखें क्योंकि यह स्ट्रोक ही नहीं कई बीमारियों का घर है।
. सिरदर्द से पीड़ित मरीज सिटी स्कैन व एमआरआई जांच कराएं
. खान-पान का खास ख्याल रखें और मीठे, जंक फूड्स, प्रोसेस्ड फूड्स की बजाए फल, हरी सब्जियां, सूप आदि लें। शरीर को जितनी जरूरत है उससे भी कम खाएं।

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याद रखें सही लाइफस्टाइल और खान-पान ही आपको बीमारियों से बचा सकता है इसलिए स्वस्थ दिनचर्या का पालन करें।

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