कला के क्षेत्र में भारत ने हमेशा एक अहम रोल प्ले किया है। हमारे देश में S. H. Raza और M. F. Husain जैसे एक से बढ़कर एक पेंटर रहे हैं, जिनकी पेंटिंग बस मंत्रमुग्ध देखकर सब बस मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। वहीं अब कला खासकर के पेटिंग की इंडस्ट्री में भारतीय युवाओं का योगदान कम होता जा रहा है, ऐसे में सिमरन केएस लांबा ने 8 दिसंबर, 2023 से दिसंबर तक विजुअल आर्ट्स गैलरी में अपनी मिक्सड आर्टवार्क "टार-एआरटी एन एनाग्राम ऑफ माई लाइफ" का प्रदर्शन किया, जो की वाकई लाजवाब था। बता दें सिमरन Indian mixed media artist जो की न्यू यॉर्क में रहते हैं और उनकी जिंदगी से जुड़े अनुभावों को canvas में आकर्षक रंगों के जरिए उतारते हैं। इस कला प्रदर्शनी में शहर के लोग शुमार हुए जैसे कौशल्या रेड्डी, करण कौर बराड़, लहर सेठी, रुचिता बंसल, पुनम कालरा, लीना सिंह, श्री के.एल गंजू, कलाकार मनीषा गावड़े, डॉ. प्रियंका त्यागी, लेखिका रितु सोनी भगत, कलाकार अरिजॉय भट्टाचार्य आदि।
सिमरन ने पेंटिग के जरिए दिया recycling का संदेश
इन पेटिंग के जरिए सिमरन ने मुख्य तौर पर recycling पर फोकस किया है, जिसमें फेंका गया कचरा अक्सर एक केंद्र बिंदु के रूप में काम करता था। तकनीकें महत्वपूर्ण थीं, प्रत्येक कार्य लंबी अवधि में बदलता रहता था, जिसके परिणामस्वरूप बनावट और सतहें बनती थीं। इस कला प्रदर्शनी में समय और तकनीकों की धीमी गति से खुलने वाली प्रक्रिया को प्रदर्शित किया है। इसमें memory, dreams, and imagination जैसी subjects को एक्सप्लोर किया गया है। आइए डालते हैं सिमरन की सफलता की जर्नी पर एक नजर...
सिमरन जिंदगी के अनुभवों को उतारते हैं कैनवास पर
सिमरन अपनी पेंटिंग में टार, सीसा, टरमैक और ग्लास जैसी चीजों का इस्तेमाल करते हैं। उनकी प्रेरणा आस-पास की चीजें को observe करके आती है, जिसके लिए उन्होंने अथक परिश्रम किया है, अपने दिल और आत्मा को टुकड़ों में समर्पित किया है, जो देखने वालों को एक शानदार अनुभव देता है।
कलाकार के तौर पर उनका काम स्वतंत्र और रेचनात्मक है, जो उसकी दृष्टि के दायरे में आने वाली छोटी-छोटी चीजों, सामग्रियों, स्थितियों और विश्वासों से प्रेरित होता है। वह अक्सर लंबे समय तक इन विषयों के बारे में सोचते रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे काम सामने आते हैं जो उन लेखों की व्यक्तिगत यात्राओं को प्रदर्शित करते हैं जिन पर वह ध्यान केंद्रित करते हैं और अपनी सामग्री और प्रक्रियाओं को उजागर करने के लिए समाज के लेंस और एक व्यक्तिगत लेंस का उपयोग करते हैं। उनका काम त्यागे गए मीडिया और औद्योगिक कचरे पर केंद्रित है, विभिन्न सामग्रियों के बीच की सीमाओं को आगे बढ़ाता है और नए आकार, रूप और बनावट बनाता है।
2006 में जुड़े का के क्षेत्र से
बता दें वो साल 2006 से tar and allied media के साथ काम कर रहे हैं और 2010 में अपने पहले काम, "जेनेसिस" के साथ शुरुआत की। लांबा के काम को नेशनल गैलरी ऑफ़ आर्ट, रवीन्द्र भवन, न्यू में आयोजित 61वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के लिए चुना गया था। अपनी शानदार creativity का सारा श्रेय को अपनी मां को देते हैं जो एक फैशन डिजाइनर और Fashion Design Council of India ( FDCI ) की संस्थापक हैं।