कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में धार्मिक लिबास 'हिजाब' पर लेकर देश में प्रदर्शन शुरू हो गया है। यह विवाह कर्नाटक ही नहीं बल्कि देश के बाकी हिस्सों में भी पहुंच गया है। दिल्ली-मुंबई में भी हिजाब पर रोक के आदेश के बाद बवाल मचा हुआ है।
कहां से शुरू हुआ हिजाब विवाद
दरअसल, यह विवाह पिछले महीने 1 जनवरी को तब शुरू हुआ जब कॉलेज प्रशासन के मना करने के बावजूद भी उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्रा हिजाब पहनकर आईं गई थी। कॉलेज मैनेजमेंट ने नई यूनिफॉर्म पॉलिसी का हवाला देते हुए छात्राओं को क्लास रूम में बैठने से मना कर दिया था, जिसके बाद लड़कियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। उनका कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत हिजाब पहनने की इजाजत न देना उनके मौलिक अधिकार का हनन है।
इसके बाद धीरे-धीरे यह विवाद दूसरे कॉलेजों में भी पहुंच गया। यह विवाद तब और भी भड़क गया जब एक समूह के छात्रों ने कॉलेज में भगवा गमछा, स्कॉर्फ और साफा पहनकर कर आना शुरू किया और जय श्री राम के नारे लगाए।
देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन
इसके कारण बेंगलुरु में धारा 144 लागू कर दी गई है, जिसके आदेश अनुसार, अगले 2 हफ्ते तक शिक्षण संस्थानों के आसपास 200m तक कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता। जबकि कर्नाटक सरकार ने धारा 133 लागू कर दी है, जिसके कारण सभी स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म अनिवार्य होगा। इसके तहत सरकारी स्कूल और कॉलेज में तय यूनिफॉर्म ही पहनी जाएगी। वहीं, राज्य में 3 दिन तक स्कूल-कॉलेजों को बंद करने का आदेश भी जारी किया है। हैदराबाद, पुदुचेरी में भी विवाद इंकलाब, जिंदाबाद, नारे तकबीर और अल्लाह हु अकबर के नारे लगाकर प्रदर्शन किया जा रहा है।
प्रियंका गांधी, मोहसिन रजा, असदद्दुीन ओवैसी, वीके सिंह, केशव मौर्य आदि नेताओं की भी इस मामले पर प्रतिक्रिया आई है। मुस्लिम औरतों के हिजाब पहनने पर प्रियंका गांधी समर्थन में आई हैं। वहीं, ओवैसी ने कहा कि इस मुद्दे से नफरत फैलाई जा रही है जबकि बीजेपी ने कानून व ड्रेस कोड का हवाला देकर हिजाब को गलत बताया।
फिलहाल हाईकोर्ट ने लोगों से की शांति बनाए रखने की अपील और मामले पर सुनवाई की जा रही है।