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यूपी में तेजी से फैल रहा Scrub Typhus, चिकनगुनिया से मिलते हैं इसके लक्षण

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 30 Sep, 2021 10:13 AM
यूपी में तेजी से फैल रहा Scrub Typhus, चिकनगुनिया से मिलते हैं इसके लक्षण

कोरोना वायरस की तीसरी लहर के बीच लोगों में स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) का डर देखने को मिल रहा है। दरअसल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में स्क्रब टाइफस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। खबरों के मुताबिक, इस मिस्ट्री फीवर (Mystery Fever) के कारण करीब 100 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। वहीं, प्रशासन द्वारा लक्षण दिखते ही तुरंत जांच करवाने की सलाह दी जा रही है। ऐसे में लोगों की चिंता बढ़ना तो लाजमी है। चलिए आपको बताते हैं स्क्रब टाइफस के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में, ताकि समय रहते मरीज की जान बचाई जा सके।

क्या है स्क्रब टाइफस?

ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाली इस बीमारी को बुश टाइफस भी कहा जाता है। इसके लक्षण काफी हद तक चिकनगुनिया से मिलते हैं। हालांकि यह बीमारी ज्यादा गंभीर है, जिससे मरीज की जान भी जा सकती है। आंकड़ों के मुताबिक, यह बीमारी दुनियाभर में हर साल करीब 1 मिलियन लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं।

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कैसे फैलता है स्क्रब टाइफस?

जीवाणुजनित संक्रमण स्क्रब टाइफस झाडी-जंगल, पहाड़ों में पाए जाने वाले कीट लार्वा माइट्स के काटने से फैलता है। इसके कारण व्यक्ति को तेज बुखार होता है, जिसका समय रहते इलाज ना होने पर जान भी जा सकती है।

50% लोगों में नहीं दिखते काटने के निशान

करीब 50% लोगों के शरीर पर ही कीट के काटने निशान भी देखे जा सकते हैं जबकि 50% लोगों में कोई निशान नहीं दिखता। लार्वा माइट्स के काटने पर गोल और काले रंग का निशान बन जाता है, जो ज्यादातर कमर, गर्दन, कांख और प्राइवेट पार्ट्स पर देखने को मिलते हैं।

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स्क्रब टाइफस के लक्षण

इस बीमारी के लक्षण करीब 10 दिन बाद सामने आते हैं। शुरूआत में मरीज को बुखार और ठंड लगती है, जिससे लोग मामूली समझ इग्नोर कर देते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे दूसरे लक्षण नजर आते हैं, जैसे...

. तेज बुखार और ठंड लगना
. शरीर में दर्द
. सिरदर्द
. मांसपेशियों में तेज दर्द 
. बाइट की जगह पर एस्चर पैच
. भ्रम और कोमा की स्थिति
. मानसिक स्थिति का ठीक न होना
. बढ़े हुए लिम्फ नोड्स
. गंभीर मामलों में ब्लीडिंग या ऑर्गन फेलियर

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स्क्रब टाइफस का इलाज

खून की जांच से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। अगर इलाज में देरी हो जाए तो फेफड़ों व लिवर पर भी इसका असर पड़ सकता है। इलाज के लिए मरीज को एंटीबायोटिक्स दी जाती है क्योंकि अभी तक इसकी कोई दवा या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।

ऐसे रखें बीमारी से बचाव

. संक्रमित लोगों से दूरी उचित दूरी बनाकर रखें क्योंकि यह एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है।
. घर के आसपास साफ-सफाई बनाकर रखें और गंदगी न जमा होने दें।
. लार्वा माइट्स को खत्म करने के लिए घर में कीटनाशक छिड़कें।
. घर से बाहर, झाड़ी-जंगल, खासकर पहाड़ी इलाकों में हाथ-पैर को ढककर रखें और पूरे कपड़े पहनें।
. समय-समय पर हाथों को धोते रहें।

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