सभी पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे को किसी तरह की परेशानी न हो खासतौर पर नवजात शिशुओं को लेकर पेरेंट्स ज्यादा चिंतित होते हैं। नवजात शिशुओं को ज्यादा देखभाल की जरुरत होती है वह छोटी-छोटी चीजों से प्रभावित होते हैं। अक्सर आपने देखा होगा कि छोटे बच्चों को बार-बार हिचकियां आती हैं जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है। ऐसे में पेरेंट्स बच्चों की हिचकियां रोकने की कई कोशिशें भी करते हैं लेकिन यह फिर भी बंद नहीं होती। ऐसे में आज आपको इस आर्टिकल के जरिए बताते हैं कि बच्चे को हिचकियां आती क्यों है और आप उन्हें इससे कैसे बचा सकते हैं.....
क्यों आती है बच्चे को बार-बार हिचकी?
ऐसा माना जाता है कि जब बच्चा पेट में होता है तो वह तभी हिचकियां लेता है प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में बच्चे को पेट में ही हिचकियां आने लगती हैं। इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। जब बच्चा छोटा होता है तो उसका रिफिक्स पूरी तरह से विकसित नहीं होता। ऐसी स्थिति में बच्चे के पेट में मौजूद खाना वापस भोजन नली में चला जाता है जिससे बच्चों की नसों की कोशिकाओं में एसिड पैदा होने लगता है डायफ्रॉम में दिक्कत होने लगती हैं इससे बच्चे को हिचकियां आने लगती हैं। इसके अलावा अगर बच्चों को बोतल में दूध ज्यादा पिलाया जाता है तो भी उनका पेट फूल जाता है ऐसे में इस स्थिति में डायफ्रॉम खिंचने लगता है जिससे बच्चों को ऐंठन शुरु हो जाती है और उन्हें हिचकियां आने लगती हैं। इसके अलावा भी कई कारण होते हैं जैसे...
. बच्चे को पिलाए जाने वाले दूध में मौजूद प्रोटीन बच्चे की भोजन नली में सूजन पैदा कर सकता है जो डायफ्राम को प्रभावित करता है और हिचकियों को ट्रिगर करता है।
. इसके अलावा यदि बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होती है तो इससे उनके फेफड़ों तक ठीक से हवा नहीं पहुंच पाती इससे घरघराहट की स्थित बनती है और बच्चे को हिचकियां आने लगती हैं।
हिचकी रोकने के कुछ उपाय
. बच्चे को कुछ भी खिलाते समय कोशिश करें कि उसे सीधे लिटाकर ही खिलाएं. आप बच्चे को तकिए पर सीधा लिटाकर भी खिला सकती हैं ताकि वह सीधा रहे और खाते समय वह हवा कम अंदर लें।
. बच्चे की हिचकी रोकने के सबसे आम उपाय हैं आप उसे डकार दिलवाएं। कोशिश करें कि जब आप बच्चे को दूध पिलाएं या कुछ और खिला रहे हों तो उसे डकार जरुर दिलवाएं।
. बच्चे के मुंह में चीनी डालें या फिर उसे शुगर सिरप पिलाएं। ऐसा तब करें जब बच्चे ने कुछ ठोस या फिर भारी खाया हो।
. जब बच्चे को बार-बार हिचकियां आने लगे तो उसे अपने गोद में उल्टा करके लिटाएं। इसके अलावा आप उसे अपने कंधे पर भी रख सकते हैं। उसकी पीठ को सर्कुलर मोशन में रखने का प्रयास करें।
. बच्चों को ग्राइप वॉटर पिलाएं। ग्राइप वॉटर का इस्तेमाल बच्चे को हिचकियां से राहत दिलवाने के लिए किया जाता है।