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कोरोना का नया वेरिएंट 'B.1.1.28.2' पैदा कर सकता है शरीर में ये गंभीर बिमारियां: स्टडी

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 08 Jun, 2021 02:12 PM
कोरोना का नया वेरिएंट 'B.1.1.28.2' पैदा कर सकता है शरीर में ये गंभीर बिमारियां: स्टडी

कोरोना का कहर जहां देश में अब थमता हुआ नज़र आ रहा है वहीं कोविड-19 का एक नया वैरिएंट -बी.1.1.28.2 सामने आया है।  इस वैरिएंट का पता पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु संस्थान (NIV) ने लगाया है वहीं इस नए वेरिएंट को लेकर एक नई स्टडी सामने भी आई हैं। कोरोना वायरस के इस नए वैरिएंट की जानकारी ब्रिटेन एवं ब्राजील की यात्रा कर भारत आएं अंतरराष्ट्रीय यात्रियों से लिए गए नमूनों की जिनोम सिक्वेंसिंग से हुई है। NIV के वैज्ञानिकों के अनुसार, वायरस का यह नया स्वरूप संक्रमित व्यक्तियों में गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस वेरिएंट से वजन की कमी, फेफड़े में घाव जैसी गंभीर बीमारियां पैदा हो सकती हैं। 
 

कोवाक्सिन का दो डोज इस नए वैरिएंट के खिलाफ  हो सकता है कारगर-
NIV के प्रि-प्रिंट स्टडी के अनुसार, यह नया वैरिएंट लोगों में गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है। विषाणु की जांच में यह बात सामने आई है कि इससे संक्रमित होने पर व्यक्ति में बीमारी गंभीर हो जाएगी। यह निष्कर्ष कोरोना वैक्सीन की इफिकेसी का समीक्षा करने की जरूरत बताता है। NIV  के एक और स्टडी में इस नए वैरिएंट के बारे में कहा गया है कि  कोवाक्सिन का दो डोज इस नए वैरिएंट के खिलाफ कारगर हो सकता है।

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वायरस के दोहराव, फेफड़ों में घाव जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती है-
स्टडी के मुताबिक, सीरियन हेमेस्टर मॉडल से तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि B.1.1.28.2 वैरिएंट शरीर में वजन की कमी, श्वास नली (रेस्पिरेट्री ट्रेक्ट) में वायरस के दोहराव, फेफड़ों में घाव जैसी गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। स्टडी में इस नए वायरस की जिनोम की निगरानी करने और सार्स-कोव-2 वैरिएंट्स के लक्षणों के आधार पर उनकी पहचान करने पर जोर दिया गया है। 
 

अब तक 30,000 सैंपल्स की जिनोम सिक्वेंसिंग की जा चुकी हैं-
देश की प्रयोगशालाएं संक्रमण तेजी से फैलाने वाले कोरोना वायरस के प्रकारों की जिनोम सिक्वेंसिंग में लगी हैं। इंडियन सार्क-कोव-2 जिनोम सिक्वेंसिंग कंसोर्टिआ INSACOG के तहत 10 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं ने करीब 30,000 सैंपल्स की जिनोम सिक्वेंसिंग की है। सरकार की योजना जिनोम सिक्वेंसिंग की प्रक्रिया को तेज करना है। इस कंसोर्टियम में 18 और प्रयोगशालाओं को जोड़ा गया है।

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क्या है जिनोम सिक्वेंसिंग? 

सरल भाषा में बताएं तो, जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा होता है, कोई वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है, इसकी जानकारी जीनोम से मिलती है। इसी वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहा जाता है। वायरस के बारे में जानने की विधि को जीनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं। इससे ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता चला है।

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