देशभर में हर साल भादपद्र पर पितृ पक्ष आरंभ होते हैं। इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति व उनका आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। इसे कोई घर पर पंडित बुलाकर करता है तो कई लोग हरिद्व्रार, गया आदि पवित्र स्थानों पर जाकर करते हैं। मान्यता है कि पितरों का श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही वे धरती पर आकर अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि भारत की तरह अन्य देशों के लोग भी अपने पितरों को याद करते व उनकी आत्मा की शांति के लिए खास त्योहार मनाते हैं। जी हां, भारत की तरह कई अन्य देश भी ये कार्य करते हैं। मगर उनका तरीका थोड़ा अलग होता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...
जापान में बॉन फेस्टिवल
जापान में पितरों को याद करते हुए बॉन फेस्टिवल मनाया जाता है। जापानी कैलेंडर अनुसार यह त्योहार 7वें महीने के 10वें दिन से शुरु होकर महीने के आखिरी 15 दिनों तक रहता है। इस दौरान जापानी लोग अपने पितरों की कब्र पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। इनकी कब्र पर फूल चढ़ाते हैं। इसके अलावा इस दिनों लोग खासतौर पर अपने-अपने घरों पर रोशनी करते हैं। वे इन 10-15 दिनों को नाच-गाकर व कई तरह के पकवान बनाकर मनाते हैं। अंत में वे पितरों को वापस भेजने में मदद के तौर पर उनके नाम के दीपक जलाकर नदी में बहाते हैं।
चीन में छिंग मिंग फेस्टिवल
भारत के पड़ौसी देश चीन के लोग पितरों को याद करने पर छिंग मिंग नामक फेस्टिवल मनाते हैं। इसे हर साल 4-5 अप्रैल को सेलिब्रेट किया जाता है। इस दौरान चीनी लोग कब्रिस्तान जाकर अपने पूर्वजों की कब्र की सफाई करते हैं। फिर उनकी पूजा करके कब्र की चारों ओर परिक्रमा लेते हैं। चीन में लोग इस दौरान पितरों को ठंडा भोजन चढ़ाते हैं। साथ ही खुद भी ठंडा भोजन की खाते हैं। ऐसे में हर साल पूर्वजों की याद में इस त्योहार को मनाने के लिए यहां पर छुट्टी होती है।
जर्मनी में ऑल सेंट्स डे फेस्टिवल
जर्मनी में भी पूर्वजों की याद में फेस्टिवल मनाया जाता है। यहां के लोग इस त्योहार को ऑल सेंट्स डे के नाम से हर साल 1 नवंबर को मनाते हैं। इन दिन को जर्मनी के लोगों ने पूर्वजों का शोक मनाने के लिए तय किया है। इस दिन लोग पूर्वजों को याद करते हुए उनके नाम की मोमबत्तियां जलाते हैं। अलग-अलग पकवान तैयार करके पहले पितरों को भोजन खाने की प्रार्थना करते हैं। बाद में खुद भोजन खाते हैं।
सिंगापुर, थाईलैंड, श्रीलंका और मलेशिया में हंगरी घोस्ट फेस्टिवल
सिंगापुर, थाईलैंड, श्रीलंका और मलेशिया के लोग पितरों की याद में हंगरी घोस्ट फेस्टिवल मनाते हैं। इन देशों के लोगों का मानना है कि इस दिन नर्क का दरवाजा खुलता है। उसके बाद इनके पूर्वजों का आत्माएं धरती पर भोजन करने के लिए आती है। इसलिए इस खास दिन पर लोग अपने घरों पर अलग-अलग पकवान बनाते हैं।