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नशे की गिरफ्त में देश के लाखों बच्चे, मेंटल हेल्थ पर डाल रहा बुरा असर: शोध

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 05 Oct, 2020 01:17 PM
नशे की गिरफ्त में देश के लाखों बच्चे, मेंटल हेल्थ पर डाल रहा बुरा असर: शोध

बॉलीवुड के ड्रग कनेक्शन ने पूरे देश को ही चौंका कर रख दिया है। हर किसी ने मन में यही सवाल है कि अगर बॉलीवुड के सेलेब्स की ऐसा करेंगे तो देश के उन युवाओं पर क्या असर पड़ेगा जो इन्हें अपना आइडिय समझते हैं। वहीं भारत सरकार के एक सर्वे में नशे से जुड़ा बड़ा खुलासा किया है।

नशे की गिरफ्त में 1.48 करोड़ बच्चे

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सर्वे के मुताबिक, देश की युवा पीढ़ी से लेकर बच्चे तक नशे की गिरफ्त में है, जोकि चिंता की बात है। सर्वे में खुलासा किया गया है कि नशे की लत बच्चों और युवाओं के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है। 10 से 17 साल के लगभग 1.48 करोड़ बच्चे और युवा अल्कोहल, अफीम, कोकीन, भांग जैसे नशे का सेवन कर रहे हैं। यह सर्वे देश में नशीले पदार्थों के यूज की सीमा और स्वरूप के संबंध का डाटा इकट्ठा करने के लिए किया गया था, जिसके परिणाम चिंता बढ़ाने वाले हैं।

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10 लाख लोग ले रहे कोकीन

इस सर्वे के अनुसार, 2.90 करोड़ लोग भांग का सेवन करने वाले हैं, जिनमें 18 से 75 साल आयु वर्ग के लोग शामिल है। जबकि 1.90 करोड़ लोग अफीम ले रहे हैं। यही नहीं, 18 से 75 साल के 10 लाख लोग कोकीन और 20 लाख लोग उत्तेजना पैदा करने वाले ‘एम्फैटेमिन’ पदार्थों से नशा करते हैं। इसके अलावा शराब पीने वालों का आकड़ा 15.10 करोड़ है, जिसमें 18 से 75 साल के लोग शामिल है।

नशे की गिरफ्त में छोटे बच्चे

सर्वे के अनुसार, 50 लाख बच्चे और किशोर शामक पदार्थों, सूंघकर या कश लगाकर नशा करते हैं। वहीं, 2 लाख बच्चे कोकीन और 4 लाख बच्चे उत्तेजना पैदा करने वाली चीजें लेते हैं। अनुमानित 10 से 17 साल के 30 लाख बच्चे और किशोर शराब, 40 लाख अफीम और लगभग 20 लाख भांग का सेवन कर रहे हैं।

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मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर

बच्चों में बढ़ रहा नशे का चलन शारीरिक, भावनात्मक व मानसिक असर डाल रहा है। यही नहीं, इससे बच्चों का स्वभाव भी आक्रामक हो रहा है।

ये है कारण

. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर घर-परिवार, दोस्त या आस-पास कोई व्यक्ति नशा करता है तो बच्चे उससे प्रेरित होता है।

. इसके अलावा मानसिक तनाव या कोई दर्दनाक घटना भी बच्चों को इस गंदी लत की तरफ धकेल देता है।

. कई बार बच्चों को माता-पिता का सही समय नहीं मिल पाता, जिस वजह से वो खुद को उपेक्षित महसूस करने लगते हैं। ऐसी परिस्थिति भी उन्हें नशे की ओर ले जाती है।

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कैसे पहचाने कि बच्चा कर रहा है नशा?

. अचानक भूख बढ़ना
. शरीरिक कमजोरी आना
. स्वभाव में चिड़चिड़ापन
. अकेले रहना
. गुस्सैल और उग्र स्वभाव
. आंखे लाल और छोटी होना
. वजन तेजी से कम होना
. एनर्जी में कमी आना

क्या करें?

. बच्चों में कोई भी बदलाव हो तो जांच करें कि कहीं वो सचमुच तो नशा नहीं ले रहा। अगर समय पर पता चल जाए तो नशा छुड़वाने में दिक्कत नहीं होती।
. बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं, खासकर किसी इमोशनल घटना के समय।
. अगर बच्चे को किसी प्रकार की समस्या या टेंशन है तो उसे दूर रखने की कोशिश करें।
. पेरेंट्स बच्चों की संगत पर भी निगरानी रखें। इसके लिए आप स्कूल टीचर्स से भी बात कर सकते हैं।
. बच्चों को अपना दोस्त बनाएं, ताकि वह अपनी हर बात आपसे शेयर करें।

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