इतिहास गवाह रहा है कि महिलाओं ने जिस फील्ड में हाथ अज़माया है वहां उन्हें कामयाबी मिली है। फिर वह चाहे खेल, पाॅलीटिक्स, साइंटिस्ट, डाॅक्टर यां कोई बिज़नेस ही क्यों न हों। एक बार फिर से महिलाओं की एक ऐसी मिसाल देखने को मिली है जिसके बारे में आम महिला शायद ही सोच पाए।
जब भी कभी आपने कसाई के बारे में सुना या पढ़ा होगा तो आपके सामने एक पुरूष की ही छवि दिखाई दी होगी। लेकिन अगर किसी महिला को आप कसाई के रुप में देखें तो थोड़ा यह हैरान कर देने वाला होगा। जी हां, चेन्नई में अपने घर, परिवार को चलाने के लिए यहां महिलाएं कसाई का काम करती है। चेन्नई में कुछ ऐसी ही महिलाओं ने अपना एक्सपीरीयंस शेयर किया जो अलग-अलग टेंडरकट्स आउटलेट्स पर कसाई का काम कर रही है। इन्हीं मे से एक है सुदरवानी और चिन्ना पोन्नू।
इन महिलाओं ने घर की आमदानी को पूरा करने के लिए कसाई के रूप में काम करना शुरू किया है , वे पुरुषों के साथ-साथ अलग-अलग शिफ्ट में काम करती हैं। ये महिलाएं अपनी इस जाॅब से काफी संतुष्ट और खुश हैं कि उन्हें काम करने का अवसर मिला। इन महिलाओं को कसाई होने पर गर्व है, क्योंकि उनका मानना है कि कोई भी काम अपनी गरिमा के साथ होता है। इस काम के जरिए वह अपने परिवार की कमाई और देखभाल करने में समर्थ हुईं है। तो आईए जानते है इन महिलाओं के कसाई के रूप में क्या एक्सपीरियंस है-
सुदरवानी के मुताबिक जब उन्होंने एक कसाई को साफ और अच्छे वातावरण में मांस कटाई से लेकर सफाई और पैकिंग का काम देखा तो उन्हें लगा कि मुझे भी कसाई बनना चाहिए। इस दौरान जब उन्होंने इस फील्ड में हाथ अज़माया तो कंपनी भी सहमत हो गई और तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद, वह कसाई के रूप में विभाग में शामिल हो गई। इस समय सुदरवानी 9 घंटे की शिफ्ट में काम करती हैं। उनका कहना है कि वह दुकान पर ग्राहकों की सेवा भी करती हैं, और इस काम में वह खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं। इस बारे में जब उनके करीबियों को पता चला तो वह चौंक गए थे, लेकिन सुदरवानी का कहना है कि वह अपने परिवार को इस काम के जरिए आर्थिक मदद देने और अपने बच्चों की इच्छाओं को पूरा करने पर गर्व महसूस करती है। वह अपने बेटे को पुलिस और बेटी को डाॅक्टर बनाना चाहती है।
एक अन्य कसाई के रूप में काम कर रही चिन्ना पोन्नू 45 साल की है। उन्होंने इस पेशे को बारीकी से देखा है क्योंकि उनके पिता भी एक कसाई थे। उन्होंने बताया कि वह अपने परिवार में तीन लड़कियों में सबसे छोटी थी और अपने पिता के साथ कसाई की दुकान पर बैठा करती थी और वहां उनके लिए छोटे-मोटे काम करती रहती थी। अचानक पिता के निधन के बाद चिन्ना पोन्नू ने पारंपरिक कसाई बनने का काम संभाला, क्योंकि उनकी दोनों बड़ी बहनों की शादी हो चुकी थी, इसलिए यह काम उनकी जिम्मेदारी बन गई थी। उन्होंने बताया कि उन्हें 'कसाई की बेटी' के रूप में जाना जाता है।
चित्रा ने बताया कि शादी के दो साल बाद जब वह चेन्नई शिफ्ट हुई तो उन्होंने TenderCuts में एक वैकेंसी के बारे में सुना, तो उन्होंने इसके लिए अप्लाई किया, क्योंकि यही एक मात्र काम था जिसमें उन्हें एक्सपीरियंस था. इस पर कंपनी ने उन्हें थोरिपक्कम के आउटलेट में सफाई करने के लिए रख लिया। जब इस बारे में एरिया सेल्स मैनेजर को पता लगा कि वह एक पेशेवर कसाई थी, तो उन्होंने फौरन उन्हें चिकन, मटन और मछली काटने और साफ करने का काम सौंप दिया। चिन्ना पोन्नू ने बताया कि मेरे इस काम से मेरा परिवार मुझ पर गर्व करता है।