भारत में कभी राजा-महाराजाओं का शासन हुआ करता था। शाही परिवार के शाही तौर तरीके, जिसके चर्चे पूरी दुनिया में हुआ करते थे और आज भी लोग इनसे जुड़े किस्से बड़ी उत्सुकता से सुनते हैं। महाराजाओं के शाही ठाठ और रानियों का शाही अंदाज, सच में बेहद लाजवाब था चलिए आज आपको एक रानी जो अपनी ऱॉयलनेस के लिए बहुत फेमस थी, के बारे में बताते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं कूच बिहार की महारानी इंदिरा देवी की जो बेइंतहा खूबसूरत तो थी साथ ही में गजब की फैशन परस्त भी थी। इंदिरा देवी जयपुर की राजमाता गायत्री देवी की मां थी और इन्हें एक ज़माने में देश की सबसे सुंदर महिला माना जाता था। रानी जितनी फैशनेबल थी, उनकी लाइफ और लवस्टोरी भी उतनी ही रोमांचक थी।
सजने-संवरने की शौकीन महारानी इंदिरा देवी पहनावे को लेकर हमेशा सजग रहा करती थी। वह विदेशी फैशन के भी लगातार टच में रहती थीं। हॉलीवुड के कई स्टार रानी के अच्छे दोस्त थे, जिसमें से कई उसकी पार्टियों में शामिल होते रहते थे। कहा जाता है कि रानी को जुए की लत भी थी।
जब वह यह साड़ी पहनती थी तो अलग ही ग्रेस दिखता था। सिल्क, शिफॉन साड़ियों को ट्रेंड में लाने का श्रेय एक तरह से उन्हीं को ही जाना चाहिए। साड़ियों के साथ महारानी को डिजाइनर खूबसूरत जूतों का भी शौक था इसलिए तो वह एक साथ ही कई डिजाइनर्स जूतों का आर्डर दे देती थी। अपने लिए खास हीरे मोती वाला जूता तैयार करने के लिए उन्होंने 20वीं सदी की इटली की नंबर वन डिजाइनर कंपनी को 100 जोड़ी जूते बनाने का आर्डर दिया, जिसमें एक को हीरे और रत्न जड़कर तैयार करना था।आज भी इस कंपनी के लग्जरी शो-रूम पूरी दुनिया में हैं।
इटली के साल्वातोर फेरागेमो उनके पसंदीदा वेस्टर्न डिजाइनर्स में थे। साल्वातोर ने अपनी आत्मकथा में लिखा, एक बार महारानी ने उनकी कंपनी को जूते बनाने का आर्डर दिया, इसमें एक आर्डर इस तरह की सैंडल बनाने का था जिसमें हीरे और मोती जड़े हों। उन्हें ये हीरे और मोती अपने कलेक्शन के ही चाहिए थे। लिहाजा उन्होंने आर्डर के साथ हीरे और मोती भी भेजे थे।
चलिए उनकी दिलचस्प लवस्टोरी के बारे में बताते हैं...
महारानी इंदिरा देवी, बड़ौदा राज्य की राजकुमारी थीं । सन 1892 में पैदा हुई रानी इंदिरा देवी का सन 1968 का निधन हो गया। महाराणा जितेंद्र के निधन के बाद वह कूच बिहार राज्य की रिजेंट भी बनीं क्योंकि उस समय उनका बेटा छोटा था।
हो चुकी थी सगाई लेकिन रानी को हुई किसी और से बेइंतहा मोहब्बत
बड़ौदा के गायकवाड़ राजवंश से ताल्लुक रखने वाली इंदिरा की सगाई बचपन में ही ग्वालियर के होने वाले राजा माधो राव सिंधिया से पक्की हो चुकी थी लेकिन रानी का दिल किसी और ही शख्स पर आ गया था। दरअसल 1911 में रानी अपने छोटे भाई के साथ दिल्ली दरबार गई थी जहां उनकी मुलाकात कूचबिहार के तत्कालीन महाराजा के छोटे भाई जितेंद्र से हुई। दोनों को प्यार हो गया और उन्होंने शादी का फैसला किया। लेकिन इंदिरा देवी के माता-पिता को यह रिश्ता किसी कीमत पर मंजूर नहीं था क्योंकि कूचबिहार के महाराजा के भाई की इमेज एक प्लेबॉय की थी। वहीं इंदिरा को भी यह बात मालूम थी कि जब इसका पता सबको लगेगा तो वह नाराज हो जाएंगे क्योंक इससे ग्वालियर के सिंधिया शासकों और बड़ौदा के बीच राजनीतिक संबंध बिगड़ जाएंगे। उस समय ग्वालियर राजघराना देश के विशिष्ट राजवंशों में था। शादी तोड़ने का मतलब था एक बड़े विवाद को खड़ा करना।
ऐसे में इंदिरा देवी ने खुद ही साहस दिखाते हुए सगाई तोड़ दी। 18 साल की इस राजकुमारी के इस कदम की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी लेकिन उन्होंने अपने मंगेतर को खत लिखा और कहा कि वह उनसे शादी नहीं करना चाहती हैं। इसके बाद इंदिरा के पिता को ग्वालियर के महाराजा का एक लाइन का टेलीग्राम मिला, आखिर राजकुमारी के पत्र का क्या मतलब है।
बेटी के इरादों के बारे में जानकर वह हैरान रह गए हालांकि ग्वालियर के महाराजा इस मामले में बहुत शालीनता से पेश आए और इंदिरा के पेरेंट्स से कहा कि वह उनकी स्थिति समझ सकते हैं। इंदिरा के अभिभावकों ने ग्वालियर राजघराने से सगाई टूट जाना तो स्वीकार किया लेकिन जिंतेद्र से शादी करना उन्हें कतई मंजूर ना था क्योंकि उसकी इमेज प्लेबॉय की थी। उन्होंने जितेंद्र को चेतावनी दी कि वो उनकी बेटी से दूर रहें लेकिन दोनों शादी का पक्का मन बना चुके थे।
आखिरकार पेरेंट्स को बात माननी पड़ी लेकिन उन्होंने इंदिरा को घर छोड़ लंदन जाने को कहा, वहीं पर दोनों ने एक होटल में शादी की जिसमें इंदिरा के परिवार से कोई मौजूद नहीं था। यह शादी ब्रह्म समाज के रीति-रिवाजों से की गई। शादी के कुछ समय बाद जितेंद्र के बड़े भाई महाराजा राजेंद्र नारायण गंभीर तौर पर बीमार पड़ गए और उनका निधन हो गया उनके बाद फिर जितेंद्र कूच बिहार के महाराजा बने। इस दंपति का आगे का जीवन खुशनुमा रहा। उनके पांच बच्चे हुए हालांकि बाद में ज्यादा शराब पीने से जितेंद्र का भी जल्दी ही निधन हो गया।
5 बच्चों के साथ महारानी इंदिरा देवी ने ही लंबे समय तक कूच बिहार का राजकाज संभाला हालांकि इंदिरा की प्रशासकीय क्षमता औसत थी लेकिन सोशल लाइफ में वह गजब की एक्टिव थी उनका ज्यादातर समय यूरोप में ही गुजरता था। बता दें कि पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग में स्थित कूच बिहार जिले का एक नगर है जोउस ज़िले का मुख्यालय भी है। सन् 1586 से 1949 तक यह एक छोटी रियासत के रूप में था। यह भूटान के दक्षिण में पश्चिम बंगाल और बिहार की सीमा पर स्थित एक शहर है।