अमेरिकन जेम ट्रेड एसोसिएशन (AGTA)ने Lab Grown Diamonds को लेकर बड़ा फैसला लिया है। AGTA GemFair Tucson 2025 में प्रयोगशाला में उगाए गए पत्थरों या उनसे बने आभूषणों को प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं मिलेगी। AGTA GemFairs में अब केवल केवल प्राकृतिक रत्न ही खरीद के लिए उपलब्ध होंगे। तो चलिए आज आपको बताते हैं लैब में बने हीरों के बारे में विस्तार से।
कुदरती हीरों की घट रही है मांग
पिछले कुछ समय से कीमती पत्थरों के रूप में खनन किए गए कुदरती हीरों की मांग घट रही है, ऐसा लैब में बने हीरों के कारण हो रहा है। इंसानों द्वारा बनाए गए हीरे 89 अरब डॉलर के वैश्विक हीरे के आभूषण बाजार को नया आकार दे रहे हैं। खासकर पश्चिम भारतीय शहर सूरत में जहां दुनिया के 90 प्रतिशत हीरे काटे और पॉलिश किए जाते हैं। यहां 'ग्रीन लैब डायमंड्स' लैब में हीरे का उत्पादन किया जाता है।
लैब ग्रोन डायमंड्स को स्पेशल टेक्नोलॉजी से किया जाता है तैयार
लैब ग्रोन डायमंड्स को स्पेशल टेक्नोलॉजी के माध्यम से लैब में तैयार किया जाता है। इसके निर्माण में उपयोग होने वाले सीड्स के रूप में अक्सर ग्रेफाइट का इस्तेमाल किया जाता है। ये पर्यावरण के अनुकूल हीरे होते है, जिनमें ऑप्टिकली और केमिकल रूप से प्राकृतिक हीरे के समान गुण होते हैं.। ग्रीन लैब डायमंड्स के निदेशक स्मिथ पटेल का मानना है कि इन कीमती पत्थरों को लैब में बनाना ही हीरा उद्योग का भविष्य है।
AGTA का लग रहा है डर
ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2019 और 2022 के बीच भारत से लैब में तैयार हीरों का निर्यात मूल्य के मामले में तीन गुना हो गया। यही कारण है कि AGTA ने इसे बैन करने का फैसला लिया है। उनका मानना है कि AGTA बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के अध्यक्ष के मुताबिक डीलर बेहतरीन रत्नों को खरीदने में गर्व महसूस करते हैं जो दुर्लभ, सुंदर और प्राकृतिक होते हैं। दरअसल लैब में तैयार ऐसे रत्नों की वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी 2018 में 3.5 प्रतिशत थी, जो 2023 में बढ़कर 18.5 प्रतिशत हो गई।
दो प्रक्रियाओं से तैयार किया जाता है हीरा
लैब में विकसित हीरे दो प्रक्रियाओं द्वारा बनाए जा सकते हैं. हाई-प्रेशर हाई टेम्परेचर (HPHT), जिसका उपयोग चीन में किया जाता है, और रासायनिक वाष्प जमाव (CVD), जिसका उपयोग यूएस और भारत में किया जाता है।लैब ग्रोन डायमंड्स (LGD) उच्च रोजगार क्षमता वाला एक प्रौद्योगिकी-और नवाचार-संचालित उभरता हुआ क्षेत्र है। सरकार इसके आयात को कम करने के उद्देश्य से इस पहल को महत्व दे रही है।